भारत में बदलाव दिख रहा है वह आवश्यक था उचित भी है और भविष्य में भारत को ठीक दिशा में ले जाएगा।
भारत में पुरानी मान्यताएं बिल्कुल बदल रही हैं। पहले मैं हमेशा सुनता था और अनुभव भी करता था कि मुसलमान भारत का एक जुट है हिंदू एकजुट हो ही नहीं सकता। मुसलमान जिसे चाहेगा वही चुनाव में जीत सकता है वहीं सरकार बन सकती है यह धारणा सत्तारूढ़ दल की भी थी और विपक्ष की भी थी.
पिछले पांच सात वर्षों में यह धारणा बदलने लगी और आज का वातावरण देखकर मुझे यह महसूस हुआ यह धारणा पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है । अब तो ऐसा दिख रहा है कि मुसलमान एकजुट हो ही नहीं सकता और हिंदू एकजुट हो सकता है।
जो लोग पहले यह कहा करते थे कि अल्पसंख्यक तुष्टिकरण राजनीति के लिए आवश्यक है वही लोग अब इस प्रकार की भाषा बोलने लगे हैं की बहु संख्यक तुष्टिकरण का खतरा बढ़ता जा रहा है ।
70 वर्षों तक जो आंख पर पट्टी बांधकर अल्पसंख्यक तुष्टीकरण से संतुष्ट थे आज उन्हें बहुत संख्या तुष्टिकरण की गंध आने लगी है । जो भारत में बदलाव दिख रहा है वह बदलाव अप्रत्याशित है लेकिन परिस्थितियों के अनुसार आवश्यक था उचित है और भविष्य में ठीक दिशा में ले जाएगा।