प्रेमानन्द जी महाराज ने इस 1 मिनट के वीडियो में सांकेतिक भाषा में समझाया है, लेकिन जो समझाया है वो एक महत्वपूर्ण सत्य है जिसे लोग समझते भी हैं लेकिन मानते नहीं , और यही कारण है की इंद्रियों के वश में होकर दुराचार करने के भयानक दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं
शास्त्रों को लोग पढ़ते नहीं, संतों की लोग सुनते नहीं और बस लगे रहते हैं पंचेंद्रियों के खेल में , फिर जब उसके परिणाम मिलने शुरू होते हैं तो गलत लोगों के (ढोंगी, पाखंडी) चंगुल में भी फंसत हैं और फिर दोष देते हैं ईश्वर को, संत समाज को।
चाहे कोई भी हो उसे अपने कर्मों का फल तो भुगतना ही है, ये प्रकृति का नियम है ईश्वर का विधान है जो बदला नहीं जा सकता और ना ही कोई झोल जो सकता है। हां यदि आप संभल जाओ सन्मार्ग पर चलने लगो और अपने कर्मों को ईश्वर के समर्पित कर दो तो पाप के फल भोगने में कष्ट कम हो सकता है।
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