साधु संतों के सिर्फ बयान के पीछे मीडिया प्राइम टाइम शो करती है, डिबेट करती है, यहां रामपुर की एक महिला ने अपने साथ मस्जिद में हुई क्रूरता को रो रोकर बताया, मीडिया और फेमिनिस्ट इस मुद्दे पर ऐसे शांत है जैसे उनके मुंह में दही जम गई है, मीडिया और फेमिनिस्टों का दोगलापन आपके सामने है
रामपुर की मस्जिद का जो मामला सामने आया है वह वास्तव में दिल दहला देने वाला है लेकिन दुर्भाग्य की भारत की मीडिया इसे कर ही नहीं कर रही यहां तक कि हमारे माननीय के कान में भी यह बात नहीं पहुंच पा रही, वह तो धन्य है सोशल मीडिया के कुछ लोग जिन्होंने इस मामले को जन-जन तक पहुंचा और मजहबी ठिकानों की सच्चाई आज दुनिया के सामने है