GEETA VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ५ कर्मसन्यास योग श्लोक ०6
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🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - नवमी रात्रि 02:02 तक तत्पश्चात दशमी
⛅दिनांक - 25 अगस्त 2023
⛅दिन - शुक्रवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - शरद
⛅मास - श्रावण
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - अनुराधा सुबह 09:14 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा
⛅योग - वैधृति शाम 06:51 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
⛅राहु काल - सुबह 11:06 से 12:42 तक
⛅सूर्योदय - 06:19
⛅सूर्यास्त - 07:04
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:49 से 05:34 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:19 से 01:04 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - वरद लक्ष्मी व्रत
⛅विशेष - नवमी को लौकी खाना त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹रक्षा बंधन - 30 अगस्त 2023🔹
🔸रक्षा सूत्र बाँधने का शुभ मुहूर्त🔸
30 अगस्त रात्रि 9:02 से 11:13 बजे तक - शुभ अमृत चौघड़िया
31 अगस्त प्रातः 3:32 से 4:54 - ब्रह्म मुहूर्त लाभ चौघड़िया
31 अगस्त सुबह 6:21 से 7:06 तक - शुभ चौघड़िया
🔹पित्त-संबंधी समस्याओं में विशेष लाभकारी बहुगुणकारी बेदाना के बीज🔹
🔸शरद ऋतु (२३ अगस्त से २३ अक्टूबर) में पित्त प्रकुपित होता है अतः इस ऋतु में बेदाना (बिहीदाना) के बीज बहुत ही गुणकारी औषधि हैं। आयुर्वेद के अनुसार ये वात-पित्तशामक, कफ-बलवर्धक, हृदय व के लिए हितकारी व शरीर को पुष्ट स्वास्थ्य करनेवाले हैं । ठंडी प्रकृति के होने से ये रक्तपित्त प्रसाद (शरीर के किसी भी भाग से खून आना) में लाभदायी हैं । क्षयरोग (T.B.) में बलगम के साथ रक्त आता हो तो बेदाना के बीजों का उपयोग खूब लाभदायी है ।
🔸ये मुँह के छाले, प्यास की अधिकता, गला सूखना, आँतों का रूखापन, खूनी बवासीर, खूनी दस्त, आमाशय व्रण (peptic ulcer), आँतों के घाव, सूखी खाँसी, शरीर की जलन, स्वप्नदोष व महिलाओं की मासिक स्राव एवं सफेद पानी पड़ने की बीमारी (श्वेतप्रदर) आदि में हितकारी हैं । विशेषतः पेशाब में जलन, संक्रमण, मवाद आना, पेशाब के साथ खून आना आदि मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभदायी हैं ।
🔸बेदाना के २-५ ग्राम बीज १०० मि.ली. पानी में रातभर भिगोकर रखें, सुबह मसल-छान के लें अथवा १०० मि.ली. उबले हुए पानी में बीजों को डाल के बर्तन ढक दें, पानी ठंडा होने पर मसल- छान के सेवन करें। इसमें आवश्यकतानुसार मिश्री मिला सकते हैं । एक सप्ताह का यह प्रयोग गर्मी के प्रकोप से बचाकर शीतलता प्रदान करता है ।
🔹स्वास्थ्यप्रद वेदना कल्प🔹
🔸लाभ : इस कल्प के प्रयोग से पेट फूलना, अरुचि, भूख की कमी, मुँह से पानी आना, हिचकी, पेटदर्द, शरीर की जलन, पेशाब में रुकावट य जलन, कब्ज, शरीर में ढीलापन, थकान, कार्य में उत्साह का अभाव, नींद की कमी या नींद का बिल्कुल नहीं आना, स्मरणशक्ति की कमी, वीर्य का पतलापन आदि समस्याएँ धीरे- धीरे दूर होकर शरीर स्वस्थ एवं मजबूत होता है । बल, बुद्धि, वीर्य वर्धक होने से विद्यार्थियों के लिए यह विशेष लाभदायी हैं ।
🔸सेवन विधि : बेदाना के ५-७ बीजों को कूट के बनाया गया रात्रि को काँच के पात्र में ५० मि.ली. पानी में भिगो दें । सुबह १२० मि.ली. गर्म किये दूध में वह मिश्रण व मिश्री मिलाकर सेवन करें । इसी प्रकार सुबह भिगो के शाम या रात्रि को भी सेवन कर सकते हैं । हर १० दिन के अंतर से बीजों की संख्या २-२ बढ़ाते जायें (२२ से २४ होने तक)। कुछ दिनों तक इसी संख्या में लेना चालू रखें फिर उपरोक्त क्रम के अनुसार बीजों की संख्या को कम करते-करते ५-७ होने तक सेवन करें ।
🔸पानी और दूध की मात्रा बीजों की संख्या के बढ़ने अथवा घटने के अनुरूप बढ़ाते-घटाते जायें ।
🔹सावधानी: बीजों के सेवन के बाद डेढ़ घंटे तक कुछ खायें - पियें नहीं ।
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