कुछ समय पहले नॉर्वे की एंबेसडर बिहार के पटना आकर प्रशांत किशोर से मुलाक़ात करती है। नॉर्वे की राजदूत देश के सभी मान्यताप्राप्त दलों को छोड़कर एक ऐसे दल के चीफ़ से क्यों मिलती है, जिसने अभी तक एक चुनाव नहीं लड़ा? वह भी सीधे पटना आकर?
बिहार में नॉर्वे की दिलचस्पी का राज़ क्या है?
जहाँ तक मेरी जानकारी है, नॉर्वे का बिहार में कोई बड़ा इन्वेस्टमेंट भी नहीं है और न ही उन्होंने भविष्य में इन्वेस्ट करने का कोई समझौता किया है। फिर भी वह दिल्ली छोड़ सीधे पटना मिलने चली आईं? वह भी दोनों मुख्य गठबंधन को छोड़कर सिर्फ़ प्रशांत किशोर से?
आपको शायद पता हो कि LTTE से बातचीत के लिए CIA ने नॉर्वे को ही अधिकृत किया था । आज की यह एम्बेसडर May Elin Stener, LTTE से बातचीत करने वाली टीम की सदस्य रह चुकी है।
CIA से जुड़ी महिला भारत सरकार, मुख्य विपक्षी दल या किसी भी बड़ी पार्टी से बातचीत न कर अपना कीमती समय बिहार में क्यों बर्बाद करेगी? व। भी चुनाव से चंद महीने पहले?
भारत की राजदूत रहने से पहले May Elin Stener श्रीलंका, भूटान और मालदीव की राजदूत रह चुकी हैं।
क्या CIA देश में नये केजरी तैयार कर रहा है.?