GEETA VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ३ कर्मयोग श्लोक ३६
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आज का पंचांग
शनिवार ०१/०७/२०२३
आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी, युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी रात्रि 11:07 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅दिनांक - 01 जुलाई 2023
⛅दिन - शनिवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - अनुराधा दोपहर 03:04 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा
⛅योग - शुभ रात्रि 10:44 तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅राहु काल - सुबह 09:21 से 11:02 तक
⛅सूर्योदय - 05:58
⛅सूर्यास्त - 07:29
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:34 से 05:16 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:05 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - शनिप्रदोष व्रत, जयापार्वती व्रतारम्भ
⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹धन-लाभ में मददरूप होगा यह प्रयोग🔹
🔸घर की साफ-सफाई सुबह करनी चाहिए । रात को घर में झाडू लगाने से लक्ष्मी की बरकत क्षीण हो जाती है । इसलिए गृहस्थियों को रात्रि को झाडू नहीं लगाना चाहिए । घर में झाडू ऐसी जगह पर रखें कि किसीको दिखाई न दे । इससे धन-लाभ में मदद होगी ।
🌹 गुरु की पूजा का महत्त्व 🌹
🌹 हमारी पावन संस्कृति में गुरु-पूजन की, आचार्योपासना की एक अत्यधिक मधुर परम्परा है । गुरु-पूजन की महिमा समझने से पहले शास्त्रों में 'गुरु' शब्द की परिभाषा क्या है यह समझना आवश्यक है ।
🌹 गुरु अर्थात् कौन ? 🌹
🌹 शास्त्रों में ज्ञान अर्थात् विद्या की परिभाषा दी गयी है : सा विद्या या विमुक्तये । विद्या वही है जो 'विमुक्त' अर्थात् वर्तमानकालीन दुःखों, पूर्वकालीन शोकों और भविष्य की चिंताओं व भयों से भली प्रकार मुक्त कर दे... । ऐसा मुक्त कर दे कि दुःख, शोक, चिंता, भय और बंधन दोबारा कभी हो ही न सकें । भूतकाल में जो दुःख, बंधन भोगे वे भी भ्रममात्र थे यह अनुभव करा के पूर्वकालीन दुःखों, बंधनों से भी मुक्त कर दे ऐसी ब्रह्मविद्या देने में जिसमें सामर्थ्य होता है उन्हें शास्त्र में 'गुरु' कहा गया ।
👉इन पुण्यदायी तिथियों व योगों का अवश्य उठायें लाभ
🔸३ जुलाई : गुरुपूर्णिमा (इस दिन गुरुद्वार पर जाकर गुरु का दर्शन, सत्संग- श्रवण व मानस पूजन करने से वर्षभर के सभी व्रत-पर्वों का पुण्यफल फलित हो जाता है ।), ३३वीं ऋषि प्रसाद जयंती
🔸०४ जुलाई : विद्यालाभ योग (४ जुलाई को सुबह ८:२५ से रात्रि ११:४५ बजे तक १०८ बार मंत्र जप लें और रात्रि ११ से १२ बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से 'ह्रीं' मंत्र लिख दें ।)
🔸९ जुलाई : रविवारी सप्तमी (सूर्योदय से रात्रि ७-५९ तक)
🔸१३ जुलाई : कामिका एकादशी
🔸१५ जुलाई : चतुर्दशी-आर्द्रा नक्षत्र योग (रात्रि .१२-२३ से १६ जुलाई रात्रि १०-०८ तक) (ॐकार का जप अक्षय फलदायी)
🔸१६ जुलाई : कर्क संक्रांति (पुण्यकाल : दोपहर १२-४६ से सूर्यास्त तक)
🔸१७ जुलाई : सोमवती अमावस्या (सूर्योदय से रात्रि १२-०१ तक) (सोमवती अमावस्या के दिन तुलसी की १०८ परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है ।)
🔸१८ जुलाई : अधिक श्रावण मास प्रारम्भ
🔸२३ जुलाई : बाल गंगाधर तिलक जयंती, चंद्रशेखर आजाद जयंती
🔸२६ जुलाई : बुधवारी अष्टमी ( सूर्योदय से दोपहर ३-५२ तक)
🔸२९ जुलाई : पद्मिनी एकादशी
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