जम्बूद्वीप
जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्ते.राज्ये..नगरे..
ये संकल्प आपने सुना होगा कोई भी शुभ कार्य से पूर्व पंडित जी द्वारा बोला गया । तो कभी सोचा कि जम्बूद्वीप क्या है ..!
प्राचीन काल में सम्पूर्ण पृथ्वी पर सनातन धर्म का विस्तार था।उसमें भी जम्बूद्वीप हिंदुओं का केंद्र रहा है।पुराणों में उद्धृत सात द्वीपों (Seven Continents) में से जम्बूद्वीप (Asia) सबसे बड़ा व मध्य में स्थित है।
जम्बू द्वीप का विस्तार
जम्बू दीप : सम्पूर्ण एशिया
भारतवर्ष : पारस (ईरान), अफगानिस्तान, पाकिस्तान, हिन्दुस्थान,नेपाल, तिब्बत, भूटान, म्यांमार, श्रीलंका, मालद्वीप, थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, कम्बोडिया, वियतनाम, लाओस तक भारतवर्ष।
इसी जम्बूद्वीप में स्थित है भारतवर्ष और भारतवर्ष के मध्य में स्थित है हिंदुस्थान जो उत्तर में हिमालय व दक्षिण में सागर तक फैला हुआ है,इसी के उत्तरी भाग को कहते हैं आर्यावर्त । आर्यभूमि का विस्तार काबुल की कुंभा नदी से भारत की गंगा नदी तक रहा। तो आर्य कहीं बाहर से नहीं आये इसी विस्तृत भूमि की संताने हैं।
किसने बसाया भारतवर्ष : त्रेतायुग में अर्थात भगवान राम के काल के हजारों वर्ष पूर्व प्रथम मनु स्वायंभुव मनु के पौत्र और प्रियव्रत के पुत्र ने इस भारतवर्ष को बसाया था, तब इसका नाम कुछ और था।
वायु पुराण के अनुसार महाराज प्रियव्रत का अपना कोई पुत्र नहीं था तो उन्होंने अपनी पुत्री के पुत्र अग्नीन्ध्र को गोद ले लिया था जिसका लड़का नाभि था। नाभि की एक पत्नी मेरू देवी से जो पुत्र पैदा हुआ उसका नाम ऋषभ था। इसी ऋषभ के पुत्र भरत थे तथा इन्हीं भरत के नाम पर इस देश का नाम 'भारतवर्ष' पड़ा। हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि राम के कुल में पूर्व में जो भरत हुए उनके नाम पर भारतवर्ष नाम पड़ा। यहां बता दें कि पुरुवंश के राजा दुष्यंत और शकुन्तला के पुत्र भरत के नाम पर भारतवर्ष नहीं पड़ा।
इस भूमि का चयन करने का कारण था कि प्राचीनकाल में जम्बू द्वीप ही एकमात्र ऐसा द्वीप था, जहां रहने के लिए उचित वातारवण था और उसमें भी भारतवर्ष की जलवायु सबसे उत्तम थी। यहीं विवस्ता नदी के पास स्वायंभुव मनु और उनकी पत्नी शतरूपा निवास करते थे।
राजा प्रियव्रत ने अपनी पुत्री के 10 पुत्रों में से 7 को संपूर्ण धरती के 7 महाद्वीपों का राजा बनाया दिया था और अग्नीन्ध्र को जम्बू द्वीप का राजा बना दिया था। इस प्रकार राजा भरत ने जो क्षेत्र अपने पुत्र सुमति को दिया वह भारतवर्ष कहलाया। भारतवर्ष अर्थात भरत राजा का क्षेत्र।
सप्तद्वीपपरिक्रान्तं जम्बूदीपं निबोधत।अग्नीध्रं ज्येष्ठदायादं कन्यापुत्रं महाबलम प्रियव्रतोअभ्यषिञ्चतं जम्बूद्वीपेश्वरं नृपम् तस्य पुत्रा बभूवुर्हि प्रजापतिसमौजस:। ज्येष्ठो नाभिरिति ख्यातस्तस्य किम्पुरूषोअनुज:।।नाभेर्हि सर्गं वक्ष्यामि हिमाह्व तन्निबोधत।
(वायु पुराण 31-37, 38)