सुनिए इन सभी मुल्ला मौलवियों से 72 हूरों की खूबसूरती और उनके साथ क्या क्या कर सकेंगे जन्नत जाने वाले...
बस यही तो चाहिए, यही सोच है इससे आगे कभी बढ़े ही नहीं इसलिए इंतजार है इन्हें तो बस कयामत की यानी इन्हें बस संस्कार का अंत चाहिए यानी कयामत ताकि इन्हें हूर, शराब की नदियां आदि मौज मस्ती मिल सके, यही है इनकी मानसिकता... इनका हब्सीपना..
सर्वधर्म समभाव की बकवास करने वालों जरा सोच कर बताओ कि यह सर्वधर्म समभाव हो कैसे सकता है एक तरफ ब्रह्मचर्य सर्वोच्च माना जाता है तो दूसरी तरफ....72 की चाहत है🤷🏻♂️