हनुमान जी का कैरियर कर्नाटक में स्थित ऋष्यमूक पर्वत से शुरू होता है । वे वहीं पहली बार भगवान राम के सम्पर्क में आए और अपने स्वामी सुग्रीव को राम से मिला कर किष्किन्धा की सत्ता पलट कर सुग्रीव को राजसिंहासन पर आसीन कर दिया और थोड़े समय राजकाज में सहयोग देने के बाद स्वयं भगवान के शरणागत हो लिए । आज वे राम दरबार के अभिन्न अंग है । जानकी माता के आशीर्वाद से वे सप्त चिरंजीवियों में से एक हैं ।
कर्नाटक बजरंग बली की कर्मस्थली रही है । वे सामान्यतः तटस्थ भाव से विचरण करते रहते हैं पर यदि उन्हें उनके बल का स्मरण दिलाते हुए कोई करुण स्वर में याद करे तो द्रवित होकर किसी न किसी रूप प्रकट होकर सहायता अवश्य करते हैं ।
कर्नाटक काँग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का उल्लेख करके उनके भक्तों को उद्वेलित कर दिया है । परिणामस्वरूप भक्त गण जय बजरंग बली के नारे लगा कर हनुमान जी को सहायता के विवश करने प्रयास कर रहे हैं ।
अच्छा ख़ासा रंगारंग चुनाव का मेला जमा हुआ था कांग्रेस ने ज़बरन हनुमान जी की एंट्री करा दी । अब चुनाव दिलचस्प हो चला है ।
आइ गयउ हनुमान, जिमि करुणा महँ वीर रस ॥
राजकमल गोस्वामी