पहले लिव इन की वकालत |अब मंदिर में कम कपड़े पहन कर जाने की जिद |अनिरुद्धाचार्य के आलोचना के लिए कई लाइन तैयार |पर छांगुर मौलाना के कांडों पर बोलने के लिए एक शब्द नहीं
ऐसे लोगों के मां बाप ने इन्हें कितने अच्छे संस्कार दिए होंगे और इन सबने अपने जीवन में कितने अच्छे अच्छे काम किए होंगे ये समझना इतना भी कठिन नहीं है...लेकिन अब हिंदू जाग गया है ओ अपने धर्म को समझ रहा है ये बात ये लोग भूल रहे है।