खबर 2013 की है और उसे समय सरकार किसी और कि नहीं खुद अखिलेश यादव की थी जो आज एक कथावाचक के लिए फड़फड़ा रहे लेकिन उस समय खामोश थे जब कई ब्राह्मणों को जूते की माला पहनाकर पूरे गांव में घुमाया गया और थाने ले जाकर पुलिस के सामने जूते से पीटा गया। तब अखिलेश जी को बुरा क्यों नहीं लगा? तब इन्होंने पीड़ितों को सम्मानित क्यों नहीं किया? क्योंकि बात एजेंडे की है...ये बात सभी हिंगुओं को समझने की जरूरत है...इटावा की घटना जातिवाद पर आधारित है ही नहीं। संभल जाओ हिंदुओं और इन जातिवादी कीड़ों तथा राजनीतिक गिद्धों के षड्यंत्र में मत फंसो
इटावा में यादवों में ब्राह्मणों को जूतों की माला पहनकर गांव में घुमाया, पुलिस के सामने थाने में जूतों से पीटा
June 26, 2025
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क्या आपने ये खबर पहले सुनी? या सुना कि किसी ने इन पीड़ित ब्राह्मणों को सम्मानित किया? अपने ये तो सुन ही लिया होगा कि एक कथित यादव जथवचन के ब्राह्मणों ने सर मुंडवाया, नाक रगड़वाई और इसका दर्द अखिलेश जी को इतना हुआ कि वो बड़े बड़े लेख ट्विटर पर लिख रहे हैं... लेकिन ब्राह्मणों के साथ जब यादवों ने बर्बरता की सारी सीमाएं पार की तब अखिलेश जी खामोश थे...