माननीय सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अमेंडमेंट बिल पर आई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अनेकों बातें कही लेकिन एक विचित्र बात ये कही कि मस्जिदें 300 से 400 साल पुरानी हैं उनके कागज कहां से आएंगे ... ये वही सुप्रीम कोर्ट है जिसने भगवान राम के जन्म के सबूत मांगे थे और हिंदुओं ने वो सबूत उन्हें दिखाए थे .. उसके बाद भी मुसलमानों को जमीन आवंटित की... क्या सुप्रीम कोर्ट के इस तरह के बयान.. वाकई सुप्रीम कोर्ट को निष्पक्ष बनाते हैं??
एक आम जनमानस कैसे कानून पर भरोसा करे, कैसे उस कानून पर भरोस करे जो कभी कुछ कहे और कभी कुछ, कैसे उस कानून पर भरोसा करे जो राजनेताओं की तरह धर्म के आधार पर सवाल जवाब करे , आखिर क्यों मुसलमानों से जुड़े वक्फ के मामलों को सीधे सुप्रीम कोर्ट में तुरन्त प्रभाव से सुना जा रहा है जबकि अनगिनत मामले पेंडिंग हां, हिंदुओं के इंडोमन के केस को 13 साल लटकने के बाद high कोर्ट जाने का सुझाव दिया जाय और वक्फ पर तुरंत अंतरिम रोक की बात की जाय. ... ये कैसा कानून है भारत का..?