कुछ पढ़ी लिखी लडकियां ही ज्यादातर कोर्ट का चक्कर इसलिए लगा रहीं हैं...क्योंकि, उनसे घर का काम नहीं होता है ? पढ़ी लिखी लडकियां इसलिए भी एकाकी जीवन में रह रहीं हैं, क्योंकि, उनकी उसी व्यक्ति से पटरी नहीं खा रही है जिनके साथ अग्नि के सात फेरे लिए हुए हैं ?क्योंकि उनकी शिक्षा उनको सामंजस्य बैठाना नहीं सिखाती, सास ससुर की सेवा का भाव नहीं सिखाती ? घरों में माता पिता संस्कार ही नहीं दे पाते
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प्रतीकात्मक फोटो |
(नोट: ये बातें सभी लड़कियों पर नहीं लागू होती लेकिन कुछ पर फिट बैठती हैं.... अन्यथा ना लेते हुए ध्यान से समझने की जरूरत है ताकि हमारा समाज एक अच्छा समाज बना रहे...नारी हमारे समाज की रीढ़ है इसलिए उसपर चिंतन महत्वपूर्ण हो जाता है बाकी हमारे हिंदू समाज का पतन होता तो सबको नजर आ ही रहा है)
ससुराल में एक मर्यादित जीवन में रहना नहीं सिखाती,
और सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात... अधिकतर पढ़ी लिखी लड़कियां... शायद अब लडकियां रही ही नहीं ? वे हर मामले में सबको सबक सिखाने की होड़ में लगी हुई हैं...शायद उनके अंदर की लड़की समाप्त हो चुकी है ?
पत्नी अब पति के लिए पत्नी नहीं अपितु एक जेलर, उसका मालिक बनने की होड़ में रहती है ?
वह स्वयं के दोषों को अपनी ही गलतियों के कारण बढ़ा रही है ? ईर्ष्या, द्वेष, शक, कर्कश बोलना, चिंतन न करना, सामाजिकता से न रहना आदि बहुत से दोषों के कारण वह अपने ही परिवार को नष्ट कर रही हैं, जाने अनजाने अपने ही पति, बच्चों, परिवार, संबंधियों के हृदय में अपने लिए नफरत बो रही हैं ?
कानून के ढुलमुल रवैये , नए नए असामजिक नियमों के कारण, लिव इन में रहना, अवैध संबंध, समलैंगिता आदि ने और भी ज्यादा बेड़ा गर्क किया हुआ है....✍️
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