आज एक फिल्म देखी ढाई किलो वाले हाथ के शनि देवल की फिल्म नाम "ब्लैंक"। फिल्म अच्छी लगी लेकिन ज्यादा अच्छा लगा इसका छुपा हुवा संदेश जो सायद बहुत से लोग ना समझ पाए क्योंकि फिल्म चाहती भी नहीं वो समझाना। फिल्म में जेहादियों को जस्टिफाई भी करने का प्रयास किया गया उन्हें भटका हुवा, परिस्थी का मारा आदि भी दिखाया गया क्योंकि बॉलीवुड है तो ऐसा तो करना ही है... जेहादियों को जस्टिफाई तो करना ही है.. लेकिन इसी फिल्म से एक महत्वपूर्ण संदेश के पाए जो आपतक इस लेख के माध्यम से पहुंचा रहे हैं , आशा है आप गंभीरता से समझेंगे भी और अधिक से अधिक लोगों तक ये संदेश पहुंचाकर उन्हें भी इस संदेश से अवगत कराने का अच्छा काम करेंगे
फिल्म देखेंगे तो आप समझेंगे की कैसे जेहाद का जब समय आता है यानी दहलाने का , ब्लास्ट का जब समय आता है तब हर सेक्टर का जेहादी जो साधारण जिंदगी जीता है ,समाज में एक अच्छा व्यक्ति बनकर रहता है चाहे वो व्यापारी हो, स्टूडेंट हो, टैक्सी या ऑटो ड्राइवर हो, मैकेनिक हो, महिला हो या पुरुष हो, सरकारी कर्मचारी हो या कोई भी यहां तक की सुरक्षा कर्मी भी (आतंकी की बहन पुलिस में होती है) वो फटने यानी काफिरों को मारने के लिए तैयार हो जाता है यानी हमारे ही बीच से जेहादी "जोंबी" निकलते हैं और फिर जेहाद के नाम पर हैवानियत का नंगा नाच करते हैं (ब्लास्ट, हत्या ब्लातकार)। और हां इनका आतंकी अड्डा भी आपके ही आस पास होता है जहां बिलकुल शांति से तैयारी चल रही होती है आतंकी जेहाद को जैसे फिल्म में एक जेहादी को ट्रैवल शॉप होती है।
इस फिल्म का यही संदेश हमें समझना है की हमारे बीच भोली सूरत , महा ईमानदार और अच्छे लोग बनकर आतंकी हमारे बीच रहकर अवसर की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं... इसलिए सावधान रहें वरना ना जाने कब आप और आपका परिवार भी इनका आसान शिकार हो जाए। सारे एक जैसे नहीं होते के चक्कर में कहीं आप किसी आतंकी को अच्छा ना समझ बैठे वर्ना परिणाम तो सब जानते ही हैं
फिल्म के लगभग अंत में शनि देवल स्टोरी के अनुरूप एक हरी किताब का सम्मान करते दिखाए जाते हैं, ऐसा क्यों तो हम शुरू में ही बता चुके हैं की बॉलीवुड है तो ये सब करना पड़ता है। सबसे अंत में इस जेहादी को अच्छा भी दिखाया गया है, ऐसा दिखाया है की अब को जेहादी नेक्सस को खत्म करेगा। अब इस फिल्म से क्या समझना है और क्या नहीं ये तो सबके अपने विवेक पर निर्भर करता है लेकिन सावधान तो सबको रहना चाहिए अन्यथा पता नहीं कब किसके अंदर का जेहादी अपने आली रूप में सामने आ जाए और आतंक मचा दे। बेचारे कश्मीरी पंडितों को तो इस सच्चाई का भान नहीं था तो उनके अपने पड़ोसियों ने ही उनके साथ जेहादी खेल खेल लिया... अब उनके साथ क्या क्या हुवा ये तो किसी से छुपा नहीं है... और ऐसा आप अपने और अपने परिवार के साथ नहीं होने देना चाहते तो सावधान तो रहना ही पड़ेगा.. जेहादियों को पहचानना होगा, उनका बहिष्कार करना होगा उन्हें अपने क्षेत्र से दूर रखना होगा....