अजीब कानून है मेरे देश का जो आम जनता कभी समझ ही नहीं सकती... एक पुस्तक पर बोलना मत तो एक पर बोलना इतना बाद अपराध को सर तन से .... हो जाय. एक कोर्ट जिसे अपराध मानता दूसरा कोर्ट उसे अपराध नहीं मानता ... वाह ये भारत के कानून
आज स्वामी प्रसाद का मत है रामचरित मानस पर बोलना तो जब नुपुर शर्मा ने अपना मत रखा था तब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जिम्मेदार क्यों माना था... कैसे भरोसा करें की सर्वोच्च न्यायलय निस्पक्ष है?
Jai shree Ram, 🙏
ReplyDeleteजय हो सनातन धर्म की जय श्री राम
ReplyDeleteउच्च शिक्षित लोग ही ऐसा बुद्धि रखते ओर फ़ैसला करते हैं, सुनकर बहुत पीड़ा होती है, फिर भी संतोष है कि कलयुग है कुछ भी हो सकता है
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