कुर्म द्वादशी २०८०, (22 जनवरी 2024) को राम लला की प्राण प्रतिष्ठा होगी और एक भव्य महोत्सव अयोध्या में तो होगा ही साथ ही विश्वभर में राम मय वातावरण होगा। ऐसे में एक सवाल उठता है की आम जनता दर्शन करने कब जा सकती है? क्या 22 को अयोध्या जाना चाहिए?
राममंदिर ट्रस्ट के महासचिव ने बताया है की आम जनता 23 जनवरी से मंदिर में राम लला के दर्शन कर सकती है साथ ही उन्होंने कहा को 22 जनवरी को अयोध्या केवल वही आएं जिन्हें आमंत्रण मिला है बाकी सभी राम भक्त अपने अपने स्थान को हो अयोध्या की तरह राम मय करें, कम से कम 5 दीपक अवश्य प्रज्वलित करें। उन्होंने बताया को मूर्तिकार योगिराज द्वारा तैयार की गई प्रभु के बाल स्वरूप की मूर्ति को स्थापना 22 को की जाएगी
अयोध्या के भव्य राम मंदिर में 22 जनवरी 2024 को भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया है कि प्राण-प्रतिष्ठा के अगले दिन यानी 23 जनवरी से आम लोग मंदिर में दर्शन कर सकेंगे। साथ ही गर्भगृह में प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा निर्मित भगवान राम की बाल विग्रह की स्थापना की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि रामलला की तीन मूर्तियों का निर्माण किया गया है। दो अन्य मूर्तियों को भी राम मंदिर में ही स्थापित किया जाएगा। लेकिन गर्भगृह में जिस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी वह नीलवर्ण के रामलला हैं। इसे योगीराज ने बनाया है। इसका निर्माण कर्नाटक के नीले पत्थर से किया गया है।
23 जनवरी से आम जनता भी कर सकेगी दर्शन
15 जनवरी को मीडिया से बात करते हुए चंपत राय ने बताया कि 20-21 जनवरी को मंदिर में दर्शन की अनुमति नहीं होगी, क्योंकि 22 जनवरी के कार्यक्रम की तैयारियाँ करनी है। उन्होंने बताया कि मुख्य प्राण-प्रतिष्ठा समारोह 12.20 बजे से शुरू होगा, जो एक बजे तक चलेगा। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संघ प्रमुख मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपना मनोभाव प्रकट करेंगे। इनके अलावा महंत नृत्य गोपाल दास भी अपना आशीर्वाद देंगे।
राइ ने बताया, “20-21 जनवरी को दर्शन बंद रखने का विचार चल रहा है। भगवान का दर्शन पूजन, पूजन, आरती, भोजन पुजारी कराएँगे। अंदर के लोग उपस्थित रहेंगे। 23 जनवरी से आम श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे।”
चंपत राय ने एक बाद फिर से निवेदन किया है कि 22 जनवरी को वही लोग आएँ जो समारोह के लिए आमंत्रित हैं। शेष लोग इस दिन अपने आसपास के मंदिरों में उत्सव मनाएँ। उन्होंने प्राण-प्रतिष्ठा के बाद शंख ध्वनि करने और प्रसाद वितरण का भी आग्रह किया है। साथ ही कहा है कि सूर्यास्त के बाद अपने घर के मुख्य द्वार पर सभी लोग कम से कम पाँच दीपक जलाएँ।
चंपत राय ने बताया कि समारोह के दौरान देश के जितने भी पारंपरिक वाद्ययंत्र हैं उनका वादन होगा। इनमें उत्तर प्रदेश का पखावर, बाँसुरी, ढोलक, कर्नाटक का वीणा, महाराष्ट्र का सुंदरी, पंजाब का अलगोजा, उड़ीसा का मर्दल, मध्य प्रदेश का संतूर, मणिपुर का पुँग, असम का नगाड़ा और काली, दिल्ली की शहनाई, झारखंड का सितार, गुजरात का संतार, तमिलनाडु का मृदंग इत्यादि शामिल हैं।
राय ने बताया कि मिथिला सहित देश के अलग-अलग हिस्सों से भगवान के लिए उपहार आ रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने जोधपुर से बैलगाड़ियों पर अपनी गोशाला का घी लेकर आए एक साधु का भी उल्लेख किया।