आज मन उतना आह्लादित और हर्षित है जिसे शब्दों के बंधन में नही बाँधा जा सकेगा। कोई शब्द, कोई भाव सूझ ही न रहा, बस मन अत्यंत विह्वल हो कल कल छल छल बह रहा है। जैसे किसी गूंगे को गुड़ खिला दिया जाए तो वह उसका स्वाद नहीं बता सकता बस उसकी अनुभूति कर सकता है।
जब कोई शिशु अपना बचपना जीते हुए स्वछंद, निर्भय, उन्मुक्त भाव में अपने मां के आंचल से पिता के आँगन तक खेलता है तब इस उदास पृथ्वी के अधरों पे हास तरंगित होता है और इसकी मंद मंद मुस्कान सबहु को भाव विभोर करती है।
श्रीराम लल्ला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा हूबहू ऐसे विहंगम दृश्य का अवलोकन है।
हम सभी तरंगित हैं, आनंदित हैं, स्पंदित है और जिनके बलिदान के कारण ये संभव हुआ उनके प्रति कृतज्ञ हैं, विनयवत हैं और उनके चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।
राघव जी की जय हो।
🙏🏻 जय श्री राम 🛕🚩