ये पोस्ट हर हिंदू, हिंदू संगठन, हिंदू नेता को पढ़ना और इसके पीछे के गहरे मंतव्य को समझना आवश्यक है ताकि इसके परिणामों से बचा जा सके। ये पोस्ट एक विचारधारा के लिए तो संदेश है लेकिन बाकियों के लिए "संकेत" जिसे नही समझा गया और उचित कदम नहीं उठाए गए तो सारी खुशियां धारी रह जाएंगी...
🎯 हालात कितने भी बुरे क्यों न हों, हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए
हालात चाहे कितने भी बुरे क्यों न हों, हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और अल्लाह पर भरोसा रखना चाहिए। हमें प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जीने का तौर-तरीक़ा अपनाना चाहिए। परिस्थितियां सदैव एक जैसे नहीं होतीं। अल्लाह तआला पवित्र क़ुरान में इरशाद फ़रमाता है, व-तिलकल अय्यामु निदाविलुहा बैन-अन-नास (यह तो समय के उतार चढ़ाव हैं, जिन्हें हम लोगों के बीच बदलते रहते हैं)। इसलिए हमें न तो निराश होना है और न ही परिस्थितियों के सामने झुकना है। हमारे सामने इस्तांबुल की आया सोफ़िया मस्जिद का उदाहरण इस आयत की मुंह बोलती तस्वीर है।
मैं भारत के मुसलमानों से अपील करता हूं कि वे सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले और मस्जिद की ज़मीन पर मंदिर के निर्माण से निराश न हों। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि तौहीद का वैश्विक केंद्र (मरकज़) और अल्लाह का घर काबा भी लंबे समय तक बहुदेववाद (शिर्क) और मूर्तिपूजा का केंद्र था। अंततः मक्का विजय के बाद प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के द्वारा यह फिर से तौहीद का केंद्र बन गया। इंशाअल्लाह हमें पूरी उम्मीद है कि बाबरी मस्जिद ही नहीं बल्कि यह पूरा चमन तौहीद के नग़मे से भर जाएगा। हमारी ज़िम्मेदारी है कि ऐसे नाज़ुक अवसर पर अपनी ग़लतियों से तौबा करें, संस्कार और चरित्र (अख़लाक़ व किरदार) का सुधार करें, अपने घर और समाज को दीनदार बनाएं और पूर्ण साहस के साथ विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए आगे बढ़ने का निर्णय करें।
✍🏼 हज़रत मौलाना मुह़म्मद वली रह़मानी साहब र.अ._
🔘 सोशल मीडिया डेस्क ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
Post का स्क्रीन वीडियो ताकि कल को पोस्ट डेलेट हो जाए तो भी साक्ष्य उपलब्ध हों..