अयोध्या में राम लला की प्राणप्रतिष्ठा हो गई, चारों तरफ उलहास का माहौल है हां कुछ जगहों से भाईचारे की अलग तस्वीरें भी सामने आई हैं जैसे गुजरात, मुंबई जहां हिंदुओं पर पथराव, हुवा, लाठियां चली लेकिन भाईचारा बना रहना चाहिए। ऐसे ही ओपिंडिय की इस खबर ने भी भाईचारे और सौहार्द की अच्छी और सच्ची तस्वीर दिखाई है। बाबरी के पैरोकार जो कुछ समय से भाईचारे और शौहर्द्य की बातें कर रहे थे उनसे मुन्नन खान (कारसेवकों पर गोली चलाने का आरोप) और मथुरा पर शौहर्द की बात की गई तो सवालों से बचकर भागते दिखे...कहीं कोई सच्चाई बाहर ना a जाए 🤫
अब भाई जितना मर्जी भाई जा रहा है सोहर दे और सेकुलरिज्म की तस्वीर है खोज खोज कर या खुद से ही तैयार कर करके लोगों को दिखा लो लेकिन सच्चाई कभी नहीं छुट्टी और अब तो रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा भी हो गई है अब सच को छुपाना सही बात नहीं इसलिए लोगों को इस सत्य को स्वीकार करना होगा कि यह भाईचारा यह सेकुलरिज्म यह शोहर्द आखिर है क्या? क्या ये केवल हिंदुओं को पकड़ाया जाने वाला झुनझुना है? सच को पहचानो और जागो तथा सजग रहो...
Opindia की रिपोर्ट 👇
जब भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा में 1 दिन बचा था, तब ऑपइंडिया ने अदालत में बाबरी का खानदानी पक्षकार इक़बाल अंसारी से कुछ सवाल दागे। वह श्रीराम अस्पताल के पास मीडिया को इंटरव्यू दे रहा था। इक़बाल ने अयोध्या को भाईचारे वाली नगरी बताते हुए कभी हिन्दू-मुस्लिम विवाद न होने की बात कही। इसी दौरान हमने पूछा कि मुन्नन खाँ के बारे में आपका क्या कहना है जिस पर कारसेवकों के परिजन पुलिस की वर्दी पहन कर गोलियाँ बरसाने का आरोप लगा रहे हैं? हमारे इस सवाल को सुन कर इक़बाल अंसारी असहज हो गए और बोले, “वो सब हम नहीं जानते।”
इसी दौरान हमने अगला सवाल किया कि अगर भाईचारे की बात है तो क्या उसे मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर नहीं दिखानी चाहिए? इस सवाल के बाद इकबाल अंसारी ने तेज कदमों से भागना शुरू कर दिया। हम उनके साथ चलते हुए बार-बार अपने सवाल को दोहराते रहे। मौका देख कर इकबाल श्रीराम अस्पताल के अंदर बने एक लोहे के दरवाजे में घुस गए। उनके साथ चल रहे पुलिस के सुरक्षाकर्मी ने हमें आगे जाने से रोक दिया।