कर्नाटक में भाजपा हारी और कांग्रेस जीती, तो क्या केवल मुसलमानों के दम पर कांग्रेस जीती थी? नहीं. हिंदुओं ने भी कांग्रेस को वोट दिया था और आज उसी वोट के बदौलत शिक्षण संस्थानों पर हिजाब को लेकर जो प्रतिबंध लगा था वो कांग्रेस ने जाता दिया ताकि उनके खास वोटर मुस्लिम खुश हो जाएं। पर इससे हिंदुओं को क्या मिला? उन हिंदुओं की तो हार हो गई जिन्होंने शिक्षण संस्थानों में ड्रेस कोड चाहा था..
बीजेपी ने कांग्रेस के इस कदम को फि के गुंडो और अल्पसंख्यकों को खुश करने का एक प्रयास कहा। वैसे अब हिंदुओं को क्या करना चाहिए? क्या हिंदू लड़कियां भगवा दुपट्टा और हिंदू लड़के भगवा गमछे लपेटकर स्कूलों में जा सकेंगे? यदि ऐसा हुआ तो क्या हर कोई अपने-अपने धार्मिक तरीकों से स्कूल जा सकेंगे? कहीं कर्नाटक सरकार हिंदुओं पर प्रतिबंध तो नहीं लगा देगी? वैसे इसके लिए हिंदू छात्र संगठन विचार कर सकते हैं और भगवा दुपट्टे और भगवा गमछे पर फोकस कर सकते हैं। जब वो हिजाब पहन सकते हैं तो हम भगवा दुपट्टा और गमछा क्यों नहीं?
कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनकर आने पर लगे प्रतिबंध को प्रदेश की कॉन्ग्रेस सरकार ने शनिवार (23 दिसंबर 2023) से हटा दिया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मैसुरु जिले के नंजनगुड में तीन पुलिस स्टेशनों के उद्घाटन के मौके पर शुक्रवार (22 दिसंबर 2023) को ये ऐलान किया था।
इसके पीछे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने तर्क दिया कि पोशाक और भोजन का चुनाव व्यक्तिगत होता है। इसलिए इस पर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए। इस दौरान उन्होंने बीजेपी पर लोगों को पहनावे और जाति के आधार पर बाँटने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि किसी को भी वोट बैंक की राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए।
सीएम सिद्धारमैया ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “वे कहते हैं ‘सबका साथ, सबका विकास’, लेकिन टोपी-बुर्का पहनने वालों और दाढ़ी रखने वालों को वो दरकिनार कर देते हैं। क्या उनका यही मतलब है?” बताते चलें कि मई में कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले कॉन्ग्रेस ने इशारा कर दिया था कि अगर राज्य की सत्ता में आती है तो हिजाब पर लगे प्रतिबंध को हटा देगी।
हिजाब बैन के एक सवाल पर सीएम सिद्धरमैया ने कहा, “आप हिजाब पहन सकते हैं। मैंने निर्देश दिया है कि कल से इस पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। आप कुछ भी पहन और खा सकते हैं। यह आप पर निर्भर है।” सीएम ने आगे कहा, “आपकी पसंद आपकी है और मेरी पसंद मेरी है। यह बहुत आसान है। मैं धोती-कुर्ता पहनता हूँ और आप पैंट-शर्ट पहनते हैं। यह आपकी पसंद है। इसमें गलत क्या है?”
कॉन्ग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा, “कॉन्ग्रेस सरकार गरीबों, पिछड़े वर्गों, दलितों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सत्ता में आई है।” सीएम ने अपनी सरकार की पाँच गारंटियों पर को लेकर कहा कि इनका फायदा सभी जाति, धर्म और राजनीतिक विचारधारा के लोगों को मुहैया कराया जाएगा। उन्होंने कहा, “बीजेपी समर्थक भी इसका फायदा उठा रहे हैं और बस में मुफ्त यात्रा कर रहे हैं। हम भेदभाव नहीं करते।”
कॉन्ग्रेस सरकार के इस ऐलान का प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा ने समाज हित के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर लगे प्रतिबंध को वापस लेने का फैसला संस्थानों की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को लेकर चिंता पैदा करने वाला है। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक पोशाक की अनुमति देकर कर्नाटक सरकार युवाओं को धार्मिक आधार पर विभाजित कर रही है।
कर्नाटक भाजपा ने कहा कि सिद्धारमैया पीएफआई के गुंडों और अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए वोट बैंक के लिए संविधान में ही संशोधन करने जा रहे हैं। भाजपा ने कहा कि उसकी सरकार के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने भी बहाल रखा था। आने वाले दिनों में जनता खुद इसे सबक सिखाएगी।
दरअसल, राज्य की भाजपा सरकार ने शिक्षण संस्थानों में समरूपता लाने के लिए ड्रेस कोड लागू किया था। इसमें कक्षा में हिजाब पहनकर बैठने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसको लेकर कर्नाटक और देश के दूसरे हिस्सों में भी बवाल हुआ था। कुछ शिक्षण संस्थानों में विरोध प्रदर्शन हुए और कुछ वक्त कई शिक्षण संस्थान बंद रखे गए थे।
मामला उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज फॉर गर्ल्स से शुरू हुआ था। इस कॉलेज की छह छात्राओं को हिजाब में कक्षाओं में आने की मंजूरी नहीं दी गई थी। इसे लेकर दिसंबर 2021 में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए जो पूरे राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में फैल गए थे। बाद में यह देश के हिस्सों में भी फैल गया।
यही नहीं, मामला कर्नाटक हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुँचा था। आखिरकार फैसला हुआ कि शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनकर कक्षा में बैठने पर रोक रहेगी। सिर्फ यूनिफॉर्म पहनकर ही कक्षा में आने की अनुमति होगी। छात्राएँ हिजाब में स्कूल आ सकती थीं, लेकिन कक्षा में प्रवेश करने से पहले उन्हें अपने हिजाब को उतारना होगा।