जय श्री राम।।
समस्त वानर सेना और नल नील के सहयोग से समुद्र पर सेतु का निर्माण किया गया ।
यहां पर ना समुद्र की महिमा का वर्णन किया गया है ।
ना पत्थरों के गुणों का वर्णन है ना ही वानरो की कोई करामात है यह सब भगवान के प्रताप से समुद्र में पत्थर तेरे हैं।
*श्री रघुवीर प्रताप ते,सिंधु तरे पाषान।।*
वानरों ने कहा प्रभु पुल बनकर तैयार हो गया है।
अब इस पर प्रथम चरण आप ही का पड़े तो उचित रहेगा ।
श्री राम जी ने सबका प्रस्ताव स्वीकार किया ।
और दोनों भाई सर्वप्रथम पुल के ऊपर खड़े हुए।
भगवान श्री राम जी के दर्शन के लिए समुद्र के सारे जीव जंतु जल से ऊपर निकलकर समुद्र में छा गए ।
*देखन कहुं प्रभु करुना कंदा।*
*प्रगट भए सब जलचर बृंदा।।*
एक तरह से जीव जंतुओं का एक नया पुल तैयार हो गया।
श्री राम जी की वानर सेना में असंख्य वानर भालू थे। संख्या कौन बता सकता है।
*को कहि सक कपि दल बिपुलाई।*
पुल पर से निकलने के लिए अत्यधिक भीड़ होने लगी।
कुछ वानर भालू लाचार भी थे
भीड़ में चलना उनके लिए असम्भव था।
उन्होंने कहा प्रभु इस भीड़ में चलना हमारे बस में नहीं है ।
प्रभु श्री राम जी हंसकर कहते हैं। कि आप लोगों के लिए यह जीव जंतुओं द्वारा बनाया गया पुल सुगम रहेगा ।
तुम इस पर से चलकर उस पार जा सकते हो।
लाचार वानर भालू कहने लगे।
वाह प्रभु ।इन जीव जंतुओं का क्या भरोसा?
रास्ते में ही हमें कब निगल जाए पता ही नहीं चलेगा ।
लंका पहुंचने से पहले ही हमारा राम नाम सत हो जायेगा।
भगवान श्री राम जी हंसकर कहने लगे।
मेरी बात पर विश्वास तो करो। जीव जंतु हिलेंगे डुलेगें नहीं।
तुम आराम से उस पार हो जाओगे।
बंदरों ने कहा नहीं प्रभु।
हम इन पर होकर नहीं जाएंगे। हम तो जो हमारे द्वारा बनाया गया पुल है।
उसी पर से होकर जाएंगे।
श्री राम जी ने लक्ष्मण जी की ओर देखा।
लक्ष्मण जी हंसते हुए कहने लगे। भैय्या जीव की यही तो विडंबना है।
भगवान की बातों पर विश्वास नहीं करता है।
स्वयं के द्वारा किए गए निर्माण पर विश्वास रखता है। अपने पुरुषार्थ पर तो उसे भरोसा है। किन्तु भगवान पर नहीं।
श्री राम जी ने वानर भालूओं को समझाया।
कि देखो यदि तुम्हें विश्वास नहीं है तो इन जीव जंतुओं के ऊपर पेड़ पत्थर गिरा कर देख लो ।यदि यह अपनी जगह से हिल डुल जाएं ,तो फिर तुम इस पर होकर मत जाना ।
वानर भालूओं ने बड़े-बड़े विशाल पत्थर पेड़ ले जाकर उन जीव जंतुओं के ऊपर गिराये ।
किंतु कोई भी जीव जंतु अपनी जगह से हिला तक नहीं।
यथावत रहे ।श्री राम जी ने हंसकर कहा ।
अब तो तुम्हें विश्वास हो गया होगा।
वानर भालू कहने लगे ।
प्रभु एक बात बताओ?
जब आप इन जीव जंतुओं के माध्यम से इस तरह का पुल तैयार कर सकते थे।
तो फिर व्यर्थ में हम वानर भालूओं को क्यों परेशान किया? क्यों हमसे पेड़ पत्थर ढुलवाए? क्यों यह पुल का निर्माण कराया गया?
इन जीव जंतुओं के द्वारा बनाए हुए पुल से ही हम सब लोग पार हो जाते ।
पहले ही इसे बनवा देते।
श्री राम जी हंसकर कहने लगे। आप लोग यह देखो ।
यह जो जीव जंतुओं का पुल बना हुआ है।
वह मैंने कहां खड़े रहकर बनाया है ?
मैंने जो तुम्हारे द्वारा पुरुषार्थ से जो पुल बनाया है ।
उसी के ऊपर खड़े होकर मैंने यह जीव जंतुओं का पुल बनाया है।
पुरुषार्थ करना तुम्हारा कर्तव्य है
यदि मैं पहले ही इसे बना देता तो तुम्हें पुरुषार्थ करने का कर्म करने का अवसर कहां मिलता।
तुम अकर्मण्य हो जाते।
संत व्याख्या करते हैं ।
कि श्रीमद् भगवत गीता में यही प्रश्न अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण से किया था ।
कि है केशव,जब आप कौरव सेना को मरा हुआ दिखा रहे हो ।
तो फिर मुझे इन्हें मारने को क्यों कह रहे हो ?
मरे हुए को मारने की क्या आवश्यकता है?
और जब यह जिंदा हैं तो इन्हें मरा हुआ क्यों दिखा रहे हो?
भगवान कृष्ण ने हंसते हुए अर्जुन से कहा था।
अर्जुन इन्हें मरा हुआ तुम्हें इसलिए दिखा रहा हूं ।
कि कहीं तुम्हें यह अभिमान ना हो जाए ।कि मैंने इन्हें मारा है।
इसलिए इन्हें तुम्हें पहले से ही मरे हुए दिखा रहा हूं।
और जिंदा इसलिए दिखा रहा हूं कि। तुम अकर्मण्य न बनो।
आलसी न बनो।
तुम इन्हें मारो। कर्म करो।
*कर्म प्रधान विश्व करि राखा।।*
इसलिए मैं तुम्हें इन्हें जिंदा दिखा रहा हूं ।
यही बात भगवान श्री राम जी वानरों से कह रहे हैं।
कि पुरुषार्थ करना जीव का कर्म है ।तुम पुरुषार्थ करो।
तुम्हारे पुरुषार्थ के पुल पर खड़ा होकर मैं तुम्हें आगे का मार्गदर्शन करूंगा ।
इस तरह श्री राम जी ने सभी को समझाया ।
और सारी वानर सेना समुद्र के उस पार हुई ।
कोई उड़ कर उस पार हुआ।
कोई जीव जंतुओं पर चलकर पार हुए ।
*सेतु बंध भइ भीर अति,*
*कपि नभ पंथ उडाहिं,*
*अपर जलचरनिह ऊपर,*
*चढि चढि पारहि जाहिं।।*
यह कौतुक देखकर दोनों भाई हंसते हैं।
*अस कौतुक बिलोकि द्वौ भाई।*
*बिहंसि चले कृपालु रघुराई।।*
*समुद्र के उस पर होने के पश्चात भगवान श्री रााम जी आगे की योजना बनाते हैं इसके आगे का प्रसंग अगले पोस्ट में जय श्री राम।।*🏹🏹🚩🚩
जय श्रीराम।
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