VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 6 श्लोक 27
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प्रशासक समिति ✊🚩
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी रात्रि 07:53 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅दिनांक - 12 अक्टूबर 2023
⛅दिन - गुरुवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - शरद
⛅मास - आश्विन
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - मघा सुबह 08:45 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
⛅योग - शुक्ल सुबह 09:30 तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅राहु काल - दोपहर 01:54 से 03:22 तक
⛅सूर्योदय - 06:35
⛅सूर्यास्त - 06:17
⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से 05:46 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:02 से 12:51 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - त्रयोदशी का श्राद्ध, मासिक शिवरात्रि
⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹मासिक शिवरात्रि : 12 अक्टूबर 2023
🌹जिस तिथि का जो स्वामी हो उस तिथि में उसकी आराधना-उपासना करना अतिशय उत्तम होता है । चतुर्दशी के स्वामी भगवान शिव है । अतः उनकी रात्रि में किया जानेवाला यह व्रत ‘शिवरात्रि' कहलाता है । प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रात्रि में गुरु से प्राप्त हुए मंत्र का जप करें । गुरुप्रदत्त मंत्र न हो तो पंचाक्षर (नमः शिवाय) मंत्र के जप से भगवान शिव को संतुष्ट करें ।
🌹कर्ज मुक्ति हेतु -
🌹हर मासिक शिवरात्रि को सूर्यास्त के समय घर में बैठकर अपने गुरुदेव का स्मरण करके शिवजी का स्मरण करते-करते ये 17 मंत्र बोलें ! जिनके सिर पर कर्जा ज्यादा हो वो शिवजी के मंदिर में जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्र बोलें ! इससे कर्जे से मुक्ति मिलेगी...
🌹1) ॐ शिवाय नमः
🌹2) ॐ सर्वात्मने नमः
🌹3) ॐ त्रिनेत्राय नमः
🌹4) ॐ हराय नमः
🌹5) ॐ इन्द्रमुखाय नमः
🌹6) ॐ श्रीकंठाय नमः
🌹7) ॐ सद्योजाताय नमः
🌹8) ॐ वामदेवाय नमः
🌹9) ॐ अघोरहृदयाय नम:
🌹10) ॐ तत्पुरुषाय नमः
🌹11) ॐ ईशानाय नमः
🌹12) ॐ अनंतधर्माय नमः
🌹13) ॐ ज्ञानभूताय नमः
🌹14) ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नमः
🌹15) ॐ प्रधानाय नमः
🌹16) ॐ व्योमात्मने नमः
🌹17) ॐ व्यूक्तकेशात्मरूपाय नम:
🔹श्राद्ध में प्रशस्त ब्राह्मण🔹
🔸श्राद्ध में जिस किसीको भोजन कराने की विधि नहीं है । शील, शौच एवं प्रज्ञा से युक्त सदाचारी तथा सन्ध्या- वन्दन एवं गायत्री मन्त्र का जप करनेवाले श्रोत्रिय ब्राह्मण को श्राद्ध में निमन्त्रण देना चाहिये । तप, धर्म, दया, दान, सत्य, ज्ञान, वेदज्ञान, कारुण्य, विद्या, विनय तथा अस्तेय (अचौर्य) आदि गुणों से युक्त ब्राह्मण इसका अधिकारी है ।
🔹प्रशस्त आसन🔹
🔸रेशमी, नेपाली कम्बल, ऊन, काष्ठ, तृण, पर्ण, कुश आदि के आसन श्रेष्ठ हैं । काष्ठासनों में भी शमी काश्मरी, शल्ल, कदम्ब, जामुन, आम, मौलसिरी एवं वरुणके आसन श्रेष्ठ हैं । इनमें भी लोहे की कील नहीं होनी चाहिये ।
🔸श्राद्ध में भोजन के समय मौन आवश्यक🔸
🔹श्राद्ध में भोजन के समय मौन रहना चाहिये । माँगने या प्रतिषेध करने का संकेत हाथ से ही करना चाहिये । भोजन करते समय ब्राह्मण से अन्न कैसा है, यह नहीं पूछना चाहिये तथा भोजन कर्ता को भी श्राद्धान्न की प्रशंसा या निन्दा नहीं करनी चाहिये ।
🔸पिण्ड की अष्टांगता🔸
🔹अन्न, तिल, जल, दूध, घी, मधु, धूप और दीप-ये पिण्डके आठ अंग हैं ।
🔹श्राद्ध में पात्र🔹
🔸सोने, चाँदी, काँसे और ताँबेके पात्र पूर्व पूर्व उत्तमोत्तम हैं । इनके अभाव में पलाश आदि अन्य वृक्ष के पत्तल से काम लेना चाहिये, पर केले के पत्ते में श्राद्ध भोजन सर्वथा निषिद्ध है । साथ ही श्राद्ध में पितरों के भोजन के लिये मिट्टी-के पात्रका भी निषेध है ।
🔸श्राद्ध में पाद-प्रक्षालन-विधि🔸
🔹श्राद्ध में ब्राह्मणों को बैठाकर पैर धोना चाहिये । खड़े होकर पैर धोने पर पितर निराश होकर चले जाते हैं । पत्नी को दाहिनी ओर खड़ा करना चाहिये । उसे बाँयें रहकर जल नहीं गिराना चाहिये । अन्यथा वह श्राद्ध आसुरी हो जाता है और पितरों को प्राप्त नहीं होता ।
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