VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 6 श्लोक 02
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प्रशासक समिति ✊🚩
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया सुबह 11:08 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅दिनांक - 17 सितम्बर 2023
⛅दिन - रविवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - शरद
⛅मास - भाद्रपद
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - हस्त सुबह 10:02 तक तत्पश्चात चित्रा
⛅योग - ब्रह्म 18 सितम्बर प्रातः 04:28 तक तत्पश्चात इन्द्र
⛅राहु काल - शाम 05:10 से 06:42 तक
⛅सूर्योदय - 06:27
⛅सूर्यास्त - 06:42
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:53 से 05:40 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:11 से 12:58 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - श्री वराह जयन्ती, विश्वकर्मा पूजा, षडशीति-कन्या संक्रांति (पुण्यकाल दोपहर 01:43 से सूर्यास्त तक)
⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹षडशीति-कन्या-संक्रांति : 17 सितम्बर 2023 🌹
🌹पुण्यकाल : दोपहर 01:43 से सूर्यास्त तक
🌹षडशीति संक्रांति में किये गए जप-ध्यान व पुण्यकर्म का फल 86000 हजार गुना होता है । -पद्म पुराण
🌹वराह जयंती - 17 सितम्बर 2023🌹
🌹वराह जयंती के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है । यह अवतार भगवान विष्णु का तीसरा अवतार माना जाता है । भगवान विष्णु ने यह अवतार सतयुग में लिया था । ऐसा माना जाता है कि हिरण्याक्ष नामक दैत्य का संहार करने हेतु भगवान विष्णु ने यह अवतार लिया था ।
🌹विश्वकर्मा पूजा - 17 सितम्बर 2023🌹
🌹इस दिन भगवान ब्रह्मा के सातवें पुत्र विश्वकर्मा का जन्म हुआ था । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब ब्रह्मा जी ने इस संसार की रचना की थी तो उन्होंने इसको सजाने और संवारने का काम विश्वकर्मा जी को ही सौंपा था ।
🌹विश्वकर्मा जी ही इस संसार के पहले शिल्पकार और बढ़ई थे । इसी कारण इन्हें वास्तुकला का भगवान भी कहा जाता है । विश्वकर्मा जयंती कि खास बात ये है कि ये त्यौहार घरों में नहीं बल्कि दफ्तरों, कार्यस्थलों और व्यावसायिक स्थानों पर पूजा कर मनाया जाता है ।
🌹भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से इंजीनियर, बढ़ई, वेल्डर और मिस्त्री जैसे व्यवसाय से जुड़े लोगों को कुशलता हासिल होती है । साथ ही उनके जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है ।
🔹 रविवार विशेष🔹
🔹 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🔹 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।
🔹 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।
🔹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।
🔹 रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।
🔹 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।
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