GEETA VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ४ ज्ञानकर्म सन्यास योग श्लोक २६
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आज का पंचांग
शुक्रवार ०४/०८/२०२३
श्रावण कृष्ण तृतीया , युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - तृतीया दोपहर 12:45 तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅दिनांक - 04 अगस्त 2023
⛅दिन - शुक्रवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - अधिक श्रावण
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - शतभिषा सुबह 07:08 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद
⛅योग - शोभन सुबह 06:14 तक तत्पश्चात अतिगंड
⛅राहु काल - सुबह 11:07 से 12:46 तक
⛅सूर्योदय - 06:11
⛅सूर्यास्त - 07:20
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:45 से 05:28 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:08 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - संकष्ट चतुर्थी
⛅विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔸संकष्ट चतुर्थी - 04 अगस्त 2023🔸
🔸क्या है संकष्ट चतुर्थी ?
🔹संकष्ट चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी । संकष्ट संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।
🔹इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है । पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है । इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं । संकष्ट चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है ।
🔸संकष्ट चतुर्थी पूजा विधि🔸
🔹गणपति में आस्था रखने वाले लोग इस दिन उपवास रखकर उन्हें प्रसन्न कर अपने मनचाहे फल की कामना करते हैं ।
👉 इस दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएँ ।
👉 व्रत करने वाले लोग सबसे पहले स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहन लें । इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है और साथ में यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है ।
👉 स्नान के बाद वे गणपति की पूजा की शुरुआत करें । गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए ।
👉 सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें ।
👉 पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी, धुप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें ।
👉 ध्यान रहे कि पूजा के समय आप देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें । ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है ।
👉 गणपति को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें ।
👉 संकष्टी को भगवान् गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं ।
👉 गणपति के सामने धूप-दीप जला कर निम्लिखित मन्त्र का जाप करें ।
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
👉 पूजा के बाद आप फल फ्रूट्स आदि प्रसाद सेवन करें ।
👉 शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप गणपति की पूजा करें और संकष्ट व्रत कथा का पाठ करें ।
👉 पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें । रात को चाँद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्ट चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है ।
🔹पारिवारिक कलहनाशक प्रयोग🔹
👉🏻 पति-पत्नी में झगड़ा हो गया हो और उसका शमन करना हो तो पति-पत्नी दोनों पार्वतीजी को तिलक करके उनकी ओर एकटक देखें तथा प्रार्थना करें । अगर पति पत्नी को निकाल देना चाहता है तो पत्नी यह प्रयोग करें । इससे झगड़ा शांत हो जायेगा ।
🔹धन, आरोग्य एवं शांति की प्राप्ति के लिए🔹
👉🏻 जो व्यक्ति चतुर्मास में भगवान विष्णु पर कनेर के पुष्प अर्पित करता है, उस पर लक्ष्मीजी की सदैव कृपा बनी रहती है । उसे आरोग्य एवं शांति की प्राप्ति होती है तथा उसके संकट दूर होते हैं ।
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