अनिरुद्धाचार्य जी ने हाल ही में समाज के हो रहे चरित्र पतन पर वर्तमान परिदृश्य के अनुरूप चिंता व्यक्त की लेकिन कुछ जाहिलो के स्थान विशेष में भरी तबाही मच गई जिसके बात वो अपने मुंह से विष्ठा उगलने लगे... ऐसे जाहिलो को बाबा जी ने बाद छोटे से व्यक्तव्य से काउंटर कर दिया...आज कल वैश्या को वैश्या नहीं कह सकते🤦
अनिरुद्धाचार्य जो और प्रेमानंद जी ने जो बातें कही उससे उन्हीं लोगों को ज्यादा दिक्कत हुई है जिनकी सच्चाई इन्होंने दुनिया के सामने का दी...