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सरकार द्वारा जारी किए गए आँकड़ों के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था में मजबूत सेवा गतिविधि और माँग के कारण जून तिमाही में पिछले एक साल में सबसे तेज वृद्धि हुई। अप्रैल-जून तिमाही में वार्षिक आधार पर सकल घरेलू उत्पाद में 7.8 percent की वृद्धि हुई, जो मार्च तिमाही में 6.1 percent थी। अगर हम पिछले साल की समान अवधि की बात करें तो विकास दर 13.1 percent थी।
निजी क्षेत्र के पूंजीगत खर्च पर बोलीं वित्त मंत्री सीतारमण
ईटी से बातचीत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारतीय निजी क्षेत्र ने निवेश शुरू किया है और आगामी तिमाहियों में अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन को लेकर आशावाद है। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में ऊँची ब्याज दरों से उत्पन्न होने वाली किसी भी प्रभाव को संभालने में भारत की क्षमता पर आश्वासन व्यक्त किया। निर्मला सीतारमण ने जोर दिया कि कुछ उत्पादों को मुद्रास्फीति के दबाव का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन Comprehensive Basket Inflation की समग्र प्रवृत्ति स्थिर बनी हुई है।
दरअसल, Comprehensive Basket Inflation में वृद्धि का अर्थ है कि अर्थव्यवस्था में सामान्य रूप से वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ रही हैं। यह बढ़ती लागत और कम खरीदारी शक्ति का कारण बन सकता है। यह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) द्वारा मापा जाता है, जो एक इंडेक्स है। ये एक निश्चित समय अवधि में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में परिवर्तन को ट्रैक करता है।
दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर है भारत के हालात
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने गुरुवार को कहा कि भारत की तिमाही जीडीपी वृद्धि कई अन्य अर्थव्यवस्थाओं से अधिक है। उन्होंने कहा कि सरकार और आरबीआई वित्त वर्ष 2024 में 6.5 percent की जीडीपी वृद्धि के अनुमान को बरकरार रखने में सहज है।
उन्होंने आगे कहा, “यह जानना अच्छा है कि राज्य भी पूंजीगत व्यय सृजन की उस मुहिम में शामिल हो रहे हैं, जिसका केंद्र सरकार पिछले कुछ समय से समर्थन कर रही है। निजी पूंजी निर्माण अब आगे बढ़ने का इंतजार नहीं कर रहा है। यह चल निकला है। कुल मिलाकर, मुद्रास्फीति के नियंत्रण से बाहर होने को लेकर चिंता का कोई वास्तविक कारण नहीं है।”
जुलाई में प्रमुख बुनियादी ढाँचा क्षेत्र की वृद्धि बढ़कर 8 percent हो गई
गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कोयला, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में विस्तार के कारण जुलाई 2023 में आठ प्रमुख बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों की वृद्धि बढ़कर 8 प्रतिशत हो गई। यह पिछले साल की समान अवधि में 4.8 प्रतिशत थी।
आँकड़ों से पता चलता है कि जुलाई में स्टील, सीमेंट और बिजली का उत्पादन भी बढ़ा है। हालाँकि, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आँकड़ों से पता चलता है कि जुलाई में कोर सेक्टर की वृद्धि पिछले महीने की तुलना में कम थी। पिछले महीने यह वृद्धि 8.3 प्रतिशत थी। इसका असर अगले तिमाही की ग्रोथ में दिखेगा।
आरबीआई के अनुमानों के मुताबिक ही रहे परिणाम
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। वहीं, कुछ अर्थशास्त्रियों ने रॉयटर्स सर्वेक्षण में सकल घरेलू उत्पाद दर 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। इस बीच, भारतीय स्टेट बैंक के अर्थशास्त्रियों ने विकास दर 8.3 प्रतिशत आँकी थी।
भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर गति से बढ़ रही है और आगामी त्योहारी सीजन के दौरान इसमें और सुधार होने की संभावना है। हालाँकि, अर्थशास्त्रियों ने आर्थिक विकास पर मुद्रास्फीति और अनियमित मौसम के समग्र प्रभाव पर चिंता व्यक्त की है, देश के विनिर्माण, सेवाओं और निर्यात क्षेत्रों में मजबूत कर संग्रह के अलावा मजबूत वृद्धि देखी गई है।