मेवाड़ की फतिहा के साथ संपन्न हुवा "मेवाड़ के राजा" का उर्ष
👆ये एक हेडलाइन हैं राजस्थान पत्रिका अखबार की ये अखबार 27 अगस्त 2023 का बताया जा रहा है और इस हेडलाइन से मेवाड़ समेत समस्त सनातनियों की भावनाओं को भारी आघात पहुंचा है... इसी को लेकर एक पाठक ने खुला पत्र राजस्थान पत्रिका को लिखा वो पढ़िए, समझिए और शेयर कीजिए
महोदय
राजस्थान पत्रिका एक पुराना एवम् प्रतिष्ठित अखबार है,जिसने पत्रकारिता के क्षेत्र में कई बार नई ऊंचाइयों को छुआ है, पत्रिका हमेशा जन भावना से जुड़े विषय उठाता रहा है जिसका समाज पर अपना अलग सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, पत्रिका की पहचान जमीन से जुड़े अखबार की रही है।
किंतु अत्यंत खेद का विषय है की पिछले काफी समय से ऐसा प्रतीत हो रहा है की पत्रिका अपनी इस पहचान से दूर हट रही है ,लगता है पत्रिका के संपादक, पत्रकार बंधु राजस्थान के इतिहास ,संस्कृति बोध से अनभिज्ञ है , समाज भावना से अपरिचित है।
इसका प्रत्यक्ष प्रमाण दिनांक 27 अगस्त को पत्रिका के चित्तौड संस्करण में प्रकाशित दिवाना शाह दरगाह के उर्स से संबंधित समाचार का शीर्षक "कुल की फातिहा के साथ सम्पन्न हुआ 'मेवाड़ के राजा' का उर्स" है।
संपूर्ण विश्व जानता है की पूरे भारत में मेवाड़ एक मात्र ऐसा राज्य है जिसने विदेशी आक्रांताओं के सामने घुटने नहीं टेके कभी उनकी अधीनता नहीं स्वीकार की ,मेवाड़ के सकल समाज ने घास की रोटियां खा कर भी स्वाधीनता का संग्राम किया।
मेवाड़ के जिस राज वंश के नेतृत्व में ये संपूर्ण संग्राम हुआ, उनके मुखिया(महाराणा) स्वयं को एकलिंग नाथ का दीवान कहलाते थे, अर्थात् मेवाड़ के राजा भगवान एकलिंग नाथ है लेकिन आपका अखबार एक आक्रमणकारी मजहब के धर्म गुरु को मेवाड़ का राजा घोषित करता है , ये न केवल संपूर्ण मेवाड़ के इतिहास,संघर्ष बलिदानों का अपमान करता है बल्कि स्वयं हमारे आराध्य भगवान एकलिंग नाथ का भी अपमान है।
ये अक्षम्य अपराध है , इसके लिए राजस्थान पत्रिका को संपूर्ण हिंदू समाज से क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए ।
आशा है आप न केवल इस विषय पर अपनी गलती स्वीकारेंगे बल्कि भविष्य में भी इस तरह की पुनरावृति नहीं हो इसका ध्यान रखेंगे
इसी आशा के साथ
आपका एक सुधी पाठक
पुनश्य: - आशा है आप आपके संपादक और पत्रकारों को एक बार पुनः प्रशिक्षण दिलवा कर सुनिश्चित करेंगे की वे भविष्य में इतिहास ,धर्म ,और जन भावना के प्रति सम्यक दृष्टि रखें।