जब मुरारी बापू ने अपनी पत्नी को मृत्युपश्चात सूतक नहीं माना और काशी में महादेव के धाम पहुंच गए तो है मुरारी बापू की यह 5 वर्ष पूर्व की निम्न वीडियो याद आ गई !! हमे मुरारी बापू की टीम के समस्त मोमिन साथी याद आये, हमे याद आया कि अपने गांव में बनाये रामदरबार में मुरारी बापू ने भगवान राम, लक्ष्मण जी एवं हनुमान जी की प्रतिमाओं को निरस्त्र क्यों कर दिया ?, हमें याद आया कि मुरारी बापू हर वर्ष दर्जनों लोगों को अपने धन से हज पर क्यों भेजते हैं ? मुझे याद आया कि मुरारी बापू व्यासपीठ से "या हुसैन-या हुसैन" क्यों गाते रहते हैं ?
मुरारी बापू क्यों कहते हैं कि " यजमान जेब मे रखता हूँ,.... जितने रु मदरसें और मस्जिद के लिए चाहिए,मुझसे लो "...। पहले भी एक बापू हुआ था जो देश अब तक झेल रहा है, अब ये एक और बापू जो समाज में धीमा जहर घोल रहा है। समझ नहीं आता ऐसे लोगों को संत समाज व्यास गद्दी से क्यों उखाड़कर नहीं फेंकता
बात ओर कथा हिन्दुओ की हो रही है ओर सुन भी उसे हिन्दू ही रहे है फिर ये इस्लामिक बाते क्यों बता रहा है दरसल गलती इसकी नहीं है किसी ने जूता मुह पे फेक के मारा होता तोह दुबारा इसकी औकात नहीं होती | वैसे भी देश चुनौतियों से नहीं इस जैसे चूतियों से परेशान है |
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