Good Night #शुभ_रात्रि
मनुष्य के जीवन में सदाचारी होना बहुत महत्वपूर्ण है। सदाचारी व्यक्ति को समाज में जो सम्मान मिल सकता है वह धन-दौलत हासिल से भी प्राप्त नहीं किया जा सकता। इसके साथ धैर्य सदाचार का पूरक है। बिना धैर्य के व्यक्ति को सदाचारी नहीं माना जा सकता। धैर्यवान मनुष्य अपने जीवन में सफलता जरूर प्राप्त कर सकता है। यह व्यक्ति का वह गुण है, जो हर परिस्थिति से लड़ना सिखाता है। धैर्यवान व्यक्ति मानसिक रूप से संतुष्ट होता है, जिसकी खुशियां हमेशा द्वार पर रहती हैं और दुखों को वह अपने नजदीक भी नहीं आने देता। दैनिक जागरण की ओर से बुधवार को धैर्य का सदाचार विषय पर विद्यार्थियों और शिक्षकों से बातचीत की गई।
ज्ञानी जनों का कहना है कि धैर्य एवं सदाचार एक दूसरे के पूरक व पर्यायवाची है। धैर्य से जीवन में सदाचार आता है और एक सदाचारी व्यक्ति ही धैर्य के महत्व को समझ सकता है। धैर्य व्यक्ति का वह गुण है जो हर परिस्थिति में उसे तटस्थ रहना सिखाता है यानि मनुष्य सुख व दुख दोनों ही स्थितियों में विचलित नहीं होता। एक धैर्यवान मनुष्य जीवन में सफलता की परम ऊंचाई के प्रत्येक ताले को खोलने में सक्षम है। सदाचार मनुष्य को चरित्रवान बनाता है, क्योंकि सदाचार सामाजिक मर्यादाओं में रहकर जीवन जीने की कला सिखाता है। एक मर्यादित व्यक्ति जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सम्मान का अधिकारी होता है। सफलता प्राप्त करने के कई तत्व है जैसे श्रम, निष्ठा, समय की पाबंदी, उत्साह व आशावाद आदि। इन सब में धैर्य की एक अहम भूमिका रहती है। जब हम अपने प्रयासों में लगे रहते हैं व परिणाम की प्रतीक्षा करते है तो एक अधीर मन सदैव अशांत रहता है। ऐसी स्थिति में अनेक रोगों व दुर्वसनों का शिकार होने की संभावना बनी रहती है। परंतु दूसरी ओर धैर्य मन को संतुष्टि एवं शांति प्रदान करता है और मनुष्य सदैव प्रसन्नचित रहता है। अत: यह आवश्यक है कि हम जीवन में सदाचार को आत्मसात करते हुए धैर्य को अपने आचार व व्यवहार का अभिन्न अंग बनाए।
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