. #शुभ_रात्रि
आध्यात्मिक विकास के लिए आपको कुछ चीजों को अपनाना होगा तो कुछ चीजों से खुद को दूर ले जाना होगा। यह संतुलन साधने की कला है। अगर आप यह मानते हैं कि आप सब कुछ जानते हैं तो आप अपना विकास रोक देंगे। जानिए किस तरह आप अध्यात्म की गहराई में उतर सकते हैं।
कुछ समय पहले की बात है, एक दिन किसी ने सत्संग में मुझसे पूछा, 'मैंने अनेक आध्यात्मिक गुरुओं से भेंट की है परंतु मैंने किसी के प्रति ऐसा आकर्षण महसूस नहीं किया, जैसा मैं आपके लिए करता हूं। आपमें आखिर ऐसा क्या है?' मैंने कहा, 'मेरे पास ऐसा कुछ नहीं है जो आपके पास न हो।
बात सिर्फ इतनी है कि हम सबको एक बीज मिला था- असीम संभावना का। आपने सावधानी से उस बीज को संभाल कर रखा, जबकि मैंने उस बीज को नष्ट कर दिया और उसे एक वृक्ष में बदल दिया। अगर आप किसी बीज को वृक्ष में बदलना चाहते हैं, तो आपको बीज का मोह छोड़ना होगा।
किसी बीज को बीज की तरह संभालना मूर्खता ही कहलाएगी, पर बदकिस्मती से, हमारे समाज में बीज को संभालना ही अक्लमंदी मानी जाती है। अपने-आप को नष्ट होने की अनुमति देना, एक व्यक्ति की सीमित संभावना को नष्ट करना, समझदारी नहीं मानी जाती। तो आप तो स्मार्ट हैं, इतने स्मार्ट कि आपने अपनी जिंदगी को ही सीमाओं में बांध लिया है।
हम सभी एक से बीज के साथ आए हैं। हर बीज में एक सी संभावना होती है, बस बीज से वृक्ष तक एक यात्रा पूरी करनी होती है। अगर आप किसी बीज को वृक्ष बनाना चाहते हैं, तो आपको इसका पोषण करना होगा, आपको इसकी सुरक्षा करनी होगी, इसके साथ उगने वाले खरपतवारों को हटाना होगा- बहुत सारे खरपतवार हटाने होंगे। यही खरपतवार लाखों सालों से मानवता के लिए कष्ट का कारण बने हुए हैं।
मनुष्य अभी तक नहीं सीख सका कि इन्हें कैसे हटाना चाहिए। क्रोध, ईर्ष्या, नफरत, भय, संदेह - वही मूर्खतापूर्ण खरपतवार पीछा नहीं छोड़ रहे, क्योंकि इन्हें उगाना नहीं पड़ता, ये अपने-आप फलते-फूलते हैं।
पर अगर आप किसी पवित्र बीज को अंकुरित कर, उगाना चाहते हैं, तो आपको सारी खरपतवार साफ कर, नए सिरे से जुताई करनी होगी और खाद डालनी होगी और यह देखना होगा कि बीजों को पानी और सूरज की रोशनी भरपूर मात्रा में मिल सके। अगर आप सूरज की रोशनी के ताप से घबरा कर दूर रहना चाहते हैं, तो आप इसकी जीवन-उपयोगी ऊष्मा से भी वंचित रह जाएंगे।
. *🚩जय सियाराम 🚩*
. *🚩जय हनुमान 🚩*