1946 में जिन्ना-सुहरावर्दी के क्रूर नरसंहार के दौरान कोलकाता के हिंदुओं के रक्षक गोपाल पाठा को आखिरकार उनका हक़ मिल गया—भाजपा के शुभेंदु अधिकारी ने उनकी प्रतिमा का अनावरण किया!बंगाल के कम्युनिस्टों द्वारा भुला दिए गए गोपाल पाठा की विरासत फिर से चमक उठी है। हिंदू रक्षक को जानिए विस्तार से 👇👇
अधिकारी ने वादा किया है कि अगर भाजपा जीतती है तो वे उनके नाम पर एक सड़क का नामकरण करेंगे।
🤷🏻♂️ वर्तमान के इस माहौल में जब चारों तरफ मौत का भयानक मंजर है लोग डरे हुए हैं घरों से भाग रहे हैं तब 1946 के उस महानायक को जानना और उससे सीखना बहुत आवश्यक है ताकि हम अपना जीवन जी सके और आने वाली पीढ़ियों का जीवन सुरक्षित बना सकें
🦁गोपाल पाठा-🦁 एक महानायक जिसे इतिहास में लिखा नहीं गया
🔥यह वह व्यक्तित्व हैं जिन्होंने बंगाल के #नोआखाली में हिन्दू मुस्लिम दंगे में मुस्लिमो द्वारा मारे जाने से क्रुद्ध होकर अपने कुछ साथियों के साथ मिल कर मुस्लिम जेहादियों को इस कदर खत्म किया कि हिन्दुओं के मारने पर चुप बैठे "मादरनीय" गांधी मुस्लिमो के मारे जाने पर इतने दुखी हुए की अनशन पर बैठ गए।
🦁इस वीर पुरुष का नाम है "गोपाल पाठा खटीक" और इनका कार्य मांस बेचना और काटना था।
🔥16 अगस्त 1946 को कलकत्ता में ‘डायरेक्ट एक्शन ‘ के रूप में जाना जाता है। इस दिन अविभाजित बंगाल के मुख्यमंत्री सुहरावर्दी के इशारे पर मुसलमानों ने कोलकाता की गलियों में भयानक नरसंहार आरम्भ कर दिया था। कोलकाता की गलियां शमशान सी दिखने लगी थी। चारों और केवल हिंदुओं लाशें और उन पर मंडराते गिद्ध ही दीखते थे।
🤨जब राज्य का मुख्यमंत्री ही इस दंगें के पीछे हो तो फिर राज्य की पुलिस से सहायता की उम्मीद करना भी बेईमानी थी। यह सब कुछ जिन्ना के ईशारे पर हुआ था। वह गाँधी और नेहरू पर विभाजन का दवाब बनाना चाहता था।
🦁हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार को देखकर ‘गोपाल पाठा’ (1913 – 2005) नामक एक बंगाली युवक का खून खोल उठा। उसका परिवार कसाई का काम करता था। उसने अपने साथी एकत्र किये, हथियार और बम इकट्ठे किये और दंगाइयों को सबक सिखाने निकल पड़ा।
🤺वह "शठे शाठयम समाचरेत" अर्थात जैसे को तैसा की नीति के पक्षधर थे। उन्होंने भारतीय जातीय वाहिनी के नाम से संगठन बनाया। गोपाल के कारण मुस्लिम दंगाइयों में दहशत फैल गई और जब हिन्दुओ का पलड़ा भारी होने लगा तो सुहरावर्दी ने सेना बुला ली... तब जाकर दंगे रुके। लेकिन गोपाल ने कोलकाता को बर्बाद होने से बचा लिया।
😡गोपाल के इस "कारनामे" के बाद गाँधी ने कोलकाता आकर अनशन प्रारम्भ कर दिया (क्योंकि उनके प्यारे मुसलमान ठुकने लगे थे)। उन्होंने खुद गोपाल को दो बार बुलाया, लेकिन गोपाल ने स्पष्ट मना कर दिया । तीसरी बार जब एक कांग्रेस के एक स्थानीय नेता ने गोपाल से प्रार्थना कि "कम से कम खुछ हथियार तो गाँधी जी के सामने डाल दो"......
✊तब गोपल ने कहा कि "जब हिन्दुओं की हत्या हो रही थी, तब तुम्हारे गाँधी जी कहाँ थे ? मैंने इन हथियारों से अपने इलाके के हिन्दू महिलाओं की रक्षा की हैं, मैं हथियार नहीं डालूंगा ।"
✊आज एक और गोपाल पाठा की जरूरत है जो बंगाल को बचा सके। सरकार, प्रशासन, पुलिस, सेना ये कब तक बचाएंगी हिन्दुओं को?
✊उठो हिन्दुओं और संकल्पित होकर अपनी, अपने परिवार, समाज, राज्य, धर्म, राष्ट्र की रक्षा के लिए तैयारी करो ना कि कायरों की तरह सरकार, सेना, प्रशासन की पीठ पीछे छुपकर कुछ दिन जीने का (वो भी भय से) मार्ग बनाओ
🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉️