#शुभ_रात्रि
क्रोधाविष्ट व्यक्ति अपना विवेक खो बैठता है और तात्क्षणिक आवेश में कुछ भी कर बैठता है । इस प्रकार के अनुभव हमें जीवन में पग-पग पर होते रहते हैं, जैसे राह चलते कोई आपसे टकरा जाए तो आप उस पर एकदम बरस पड़ेंगे, गाली-गलौज कर बैठेंगे, कदाचित् हाथ भी उठा देंगे । उस समय आप उसकी बात सुनने को भी तैयार नहीं होंगे । घटना को लेकर जो विचार प्रतिक्रिया-स्वरूप आप के मन में उठेंगे वे तुरंत ही कार्य रूप में बदल जायेंगे । अंत में जब वास्तविकता का ज्ञान आपको हो जाए और उसके प्रति विश्वास जग जाये तब आप अपने व्यवहार के प्रति खिन्न हो सकते हैं । तब भी अहम्भाव से ग्रस्त होकर आप अपने को सही ठहराने का प्रयास करेंगे ।
मनुष्य में अनेकों भाव स्वाभाविक रूप से होते हैं, जैसे दूसरों के प्रति सहानुभूति, श्रद्धाभाव, उपकार की प्रवृत्ति, वस्तुएं अर्जित करने की इच्छा, प्रशंसा सुनने की लालसा, आनंदित होने का भाव, इत्यादि । अहम्भाव कदाचित् सबके ऊपर रहता है । इन भावों में से कुछ दूसरों के हित में होते हैं तो कुछ कभी-कभी उनके लिए कष्टप्रद या हानिकारक। विवेकशील व्यक्ति आत्मसंयम का सहारा लेकर स्वयं को कमजोर भावों से मुक्त करने का यत्न करता है । प्रयास करना कठिन होता है, किंतु निष्फल नहीं होता । समय बीतने के साथ आप कमियों को जीतते हैं, और त्वरित प्रतिक्रिया के स्वभाव से मुक्त हो जाते हैं। । कदाचित् इसी को प्राचीन मनीषियों ने तप कहा है ।
आज अपने प्रभु से जीवन में क्रोध पर संयम रखने की प्रार्थना के साथ...!
. #शुभ_रात्रि
. 🚩जय सियाराम 🚩
. 🚩जय हनुमान 🚩