गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 02 (सांख्ययोग) श्लोक 69
आज का पंचांग
मंगलवार २२/०५/२०२३
ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी , युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - चतुर्थी रात्रि 12:57 तक तत्पश्चात पंचमी
⛅दिनांक - 23 मई 2023
⛅दिन - मंगलवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - ज्येष्ठ
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - आर्द्रा दोपहर 12:39 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
⛅योग - शूल शाम 04:47 तक तत्पश्चात गण्ड
⛅राहु काल - शाम 03:57 से 05:37 तक
⛅सूर्योदय - 05:56
⛅सूर्यास्त - 07:17
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:13 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 से 12:58 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी, गुरु अर्जुनदेवजी शहीदी दिवस, मंगलवारी चतुर्थी ( सूर्योदय से रात्रि 12:57 तक), उमा चतुर्थी (बंगाल, ओड़िशा)
⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹मंगलवारी चतुर्थी - 23 मई 2023🌹
पुण्यकाल : सूर्योदय से रात्रि 12:57 तक
🌹जैसे सूर्य ग्रहण को दस लाख गुना फल होता है, वैसे ही मंगलवारी चतुर्थी को होता है । बहुत मुश्किल से ऐसा योग आता है । मत्स्य पुराण, नारद पुराण आदि शास्त्र में इसकी भारी महिमा है ।
🌹इस दिन अगर कोई जप, दान, ध्यान, संयम करता है तो वह दस लाख गुना प्रभावशाली होता है, ऐसा वेदव्यास जी ने कहा है ।
🔹 कर्जे से छुटकारा के लिए 🔹
🔹मंगलवार चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना । जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है । बिना नमक का भोजन करें, मंगल देव का मानसिक आह्वान करें । चन्द्रमा में गणपति की भावना करके अर्घ्य दें । कितना भी कर्जदार हो... काम धंधे से बेरोजगार हो... रोजी रोटी तो मिलेगी और कर्जे से छुटकारा मिलेगा ।
🔸विनायक चतुर्थी - 23 मई 2023🔸
🌹 विनायक चतुर्थी हो या संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश आराधना का विशेष महत्व माना गया है । पौराणिक शास्त्रों में गणेश जी के 12 प्रसिद्ध नाम बताए गए हैं जिनका सुमिरन करने से हर बाधा व संकट का अंत होता है ।
🔸हर दिन इन नामों का स्मरण करने वाले व्यक्ति के जीवन में परेशानियां नहीं आती है । अगर रोज ये नाम नहीं भी पढ़ पा रहे हैं तो खास तौर पर गणेश चतुर्थी और बुधवार के दिन इन नामों का स्मरण अवश्य किया जाना चाहिए :-
1. सुमुख, 2. एकदंत, 3. कपिल, 4. गजकर्ण, 5. लंबोदर, 6. विकट, 7. विघ्नविनाशक, 8. विनायक, 9. धूम्रकेतु, 10. गणाध्यक्ष, 11. भालचन्द्र, 12. गजानन
🔸मोसंबी का रस🔸
👉 यह बल व रक्त वर्धक, शक्तिदायक एवं रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ानेवाला है । बीमार लोगों के लिए मोसंबी अमृत के समान है ।
👉 शरीर थकने व मन के ऊब जाने पर मोसंबी अथवा इसके रस का सेवन करें तो थकान,बेचैनी दूर होकर स्फूर्ति व प्रसन्नता बढ़ती है । मोसंबी का रस यकृत, आँतों तथा पाचनतंत्र को शुद्ध करके उन्हें सतेज बनाता है ।
👉 मोसंबी चूसने से दाँतों की सफाई होती है व भोजन सरलता से पचता है । सर्दी - जुकामवालों को मोसंबी का रस हलका गर्म करके उसमें २ - ४ बूँद अदरक के रस की डालकर पीना चाहिए ।
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