15 अगस्त को गुजरात के भावनगर (कुम्हारवाड़ा) के एक स्कूल में बच्चों ने एक नाटक किया। नाटक में बुर्का पहने लड़कियाँ आतंकियों का किरदार निभा रही थीं —जो मासूमों पर गोलियाँ बरसा रही थीं।सच दिखाया गया, तो अब इस्लामिस्ट्स चिल्ला रहे हैं— “इस्लामोफोबिया”, “सेक्युलरिज़्म खतरे में है”…
लेकिन सवाल ये है👇
👉 पहलगाम में हिंदुओं की हत्या किसने की थी.?
👉 नाम चेक करके, कपड़े उतरवाकर मारने वाले कौन थे.?
सच कड़वा है।और सच यही है कि आतंक का चेहरा हमेशा एक ही होता है। NCERT में बदलाव हो या स्कूल का नाटक— साफ है अब सच छुपेगा नहीं।