. #शुभ_रात्रि (Good Night)
स्त्री वह है जिसने सृष्टि धारण किया है। धरती स्त्री लिंग और आत्मा भी स्त्री लिंग। एक स्त्री का एक पुरुष के जीवन में क्या महत्व है? पुरुष का शिशु के रूप में जन्म से लेकर पालन और शुरुआती शिक्षा उसीकी देन । हमने उसे माँ कहा। माँ का बहुत महत्व है, एक हजार पिता के बराबर मां होती है, इतनी महानता कि उसकी तुलना किसी से नहीं हो सकती।
विचार स्त्री का दूसरे रूप 'पत्नी' पर लेकिन उससे पूर्व 'प्रेयसी' रूप की चर्चा हो जाय क्योंकि आज कल यह रिश्ता प्रचलन में है। 'प्रेयसी' के लिए 'प्रेमी' कुछ भी करने को तैयार रहता है बिना किसी किचकिच के।
'पत्नी' वह है जो अधूरे पुरुष को पूरा करती है उसका माता की तरह ख्याल रखती। माता की कईं संताने हो सकती हैं किंतु पत्नी का सिर्फ एक भरतार है।
पुरुष विश्व युद्ध, धर्मयुद्ध करता है किंतु नारी को नहीं लांघ पाता है। नारी जीवन रूपी गाड़ी का वह दूसरा पहिया है जिसके बिना जीवन चल नहीं सकता है इसीलिये भगवान गीता में कहते हैं कि "मैं गृहस्थ आश्रम हूँ"। यह गृहस्थ आश्रम ही अन्य तीनों आश्रमों का आधार है। कल्याणकारी शिव स्वयं को अर्धनारीश्वर के रूप में व्यक्त करते हैं जबकि ब्रह्म न पुल्लिंग हैं न ही स्त्रीलिंग |
नारी को पुरुष कई हजार वर्षों से पढ़ रहा है फिर भी पढ़ना जारी है, जहाँ तक समझ का सवाल है वह अपने कई शोध में कई तरह का निष्कर्ष निकाला और यह भी निरंतर जारी है।
पुरुष का प्रेम क्या है? नारी के फेरे लगाता है, वह साथ नहीं रहना चाहता फिर भी रहता है। कहता है विवाह ने स्वतंत्रता खत्म कर दी है इस परतंत्रता की बेड़ी हटाता नहीं है। हेकड़ी पुरुष होने की बहुत है क्योंकि प्रकृति ने उसे नारी से अधिक ताकत प्रदान की है।
एक कल्पना करें बिना नारी की दुनिया कैसी होगी? कैसा जीवन होगा! दुनिया नीरस नहीं हो जायेगी। मन में वासना दम तोड़गी, पुरुष जीवन जीना छोड़ देगा। जीवन के लिये ऐहिक आनंद, उत्सव जरूरी है। वासना कार्य के लिए प्रेरित करती है । वासना की तरंग पर निर्भर करता है कि पुरुष कितना नवीन है।
नारी शास्त्र, नारी पुराण, नैतिकता और चरित्र की बात बिना नारी के किससे करेंगे? एक बात जानते हैं कि पुरुष को सर्वाधिक प्रेम उसकी करती है तो वहीं नारी को उसका पति ।
जीवन के ऐसे उम्र पर जब पति-पत्नी की काम भावना लगभग खत्म हो जाती है तब दोनों एक दूसरे के सबसे अच्छे मित्र हो जाते हैं। पत्नी के लिए पति पुत्र की तरह हो जाता है। उसका स्वयं का स्वास्थ्य भले अच्छा न हो लेकिन उसके पति की खाने की चिंता लगी रहती है। स्त्री और पुरुष का सम्बंध अद्भुत है, इसमें कौन बड़ा कौन छोटा ।
सम्बन्धों में प्रेम की जगह जब अहंकार आकर लेने लगता है तब मैं और तुम में रिश्ते बिखरने लगते हैं। जीवन को हम कितना रोमांचक और प्रफुल्लता से पूर्ण करते हैं, यह हम ही निर्भर करता है।
. *🚩जय जगदम्बे 🚩*