योग गुरु बाबा रामदेव वैसे ही धर्मद्रोहियों की नजरों में खटकते हैं और रह रहकर वह ऐसी कई बातें कहते रहते हैं जो इन विरोधियों के स्थान विशेष को और ज्वलंत कर देती है लेकिन अब जो बात बाबा जी ने कही है वह केवल विरोधियों के लिए नहीं बल्कि धर्म प्रेमियों, सनातन प्रेमियों, राष्ट्र प्रेमियों के लिए भी समझने लायक है
एक तबका है जो आपने मजहब को लगातार तेजी से आगे बढ़ा रहा है और आगे बढ़ाने के लिए वह जो गतिविधियां कर रहा है हमारी नजरों में भले ही गलत है लेकिन उनके हिसाब से बिल्कुल सही है। लेकिन जो तबका धर्म , को राष्ट्र को और सनातन को मजबूत करना चाहता है क्या वह उसी इच्छा शक्ति से उसी सुनियोजित तरीके से काम कर रहा है? जिस प्रकार मजहबियों को फंडिंग मिल रही है वह इस तरफ हो रही है? जब हमारा विरोधी तबका अपनी कमाई का एक हिस्सा अपने एजेंडे को दे सकता है तो आखिर क्यों हम अपने राष्ट्र तथा धर्म की मजबूती के लिए अपनी कमाई का हिस्सा नहीं दे सकते?