अभी कर्नाटक के कुछ मित्रों से बात हुई जब खूब हंस रहे थे सब ने कहा कि उनके सैकड़ों जानने वालों ने यह सोचकर कांग्रेस को वोट दिया कि घर बैठे मुफ्त ₹3000 खाते में आएंगे, क्योंकि कांग्रेस ने सभी ग्रेजुएट बेरोजगार को ₹3000 देने का वादा किया। लोगों ने यह सोचा कि कांग्रेस की नजरों में रोजगार मतलब सरकारी नौकरी है और सरकार को कैसे पता चलेगा कि कौन नौकरी कर रहा है कौन नहीं।
और कल कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अधिसूचना जारी कर दिया की बेरोजगारी भत्ता सिर्फ उन्हें ही मिलेगा जिन्होंने सत्र 2022-23 में ग्रेजुएशन या डिप्लोमा किया है, और उन्हें हर महीने जिलाधिकारी कार्यालय में यह प्रमाण पत्र जमा करवाना पड़ेगा कि वह कहीं भी प्राइवेट या सरकारी नौकरी नहीं कर रहे हैं, और उनके पास 1 एकड़ से ज्यादा जमीन नहीं है, कार नहीं है, दो कमरे से बड़ा मकान नहीं है और उनके पिता की सालाना इनकम चार लाख से ज्यादा नहीं है और यह सिर्फ 1 साल तक मिलेगा।
सरकार का यह कहना है कि 1 साल के बाद आपको नौकरी ढूंढनी ही है।
और अभी इंतजार है कि जो इन्होंने गृह लक्ष्मी योजना की मंजूरी दिया है कि हर महिला के खाते में ₹3000 देंगे उसमें यह कौन कौन सी शर्त लगाने वाले हैं तभी उस पर मंथन चल रहा है।
सोचिए मुस्लिम कितने स्मार्ट हैं कि जनता दल सेकुलर ने मुसलमानों के लिए पूरे दो पन्ने का वायदा किया था, लेकिन फिर भी उन्होंने जनता दल सेकुलर को वोट नहीं दिया और उन्होंने कांग्रेस को यह सोचकर वोट दिया कि उनके कीमती वोट का बंटवारा ना हो, और बीजेपी हार जाए, और हम हिंदू इस तरह के छलावे में जाल में फंस जाते हैं, और अंत में हमारा ही नुकसान होता है, क्योंकि फिर कांग्रेस अपना साम्प्रदायिक एजेंडा लागू कर देती है, और उसका सीधा उदाहरण है राजस्थान में या छत्तीसगढ़ में या झारखंड में देखिए किस तरह से साम्प्रदायिक एजेंडा लागू कर दिया गया है।