बिहार की राजधानी पटना से सटे नौबतपुर में जहां बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री जी ने पांच दिवसीय हनुमत कथा किया है वहां से खबर है कि उस गांव मे इन पांच दिनों मे 5 करोड़ से ऊपर के सिर्फ नारियल और चुनरी बिके हैं।
इसके अलावा लोगों के आने जाने , नाश्ते पानी और पटना में ठहरने वालों का खर्च भी जोड़ लिया जाए तो इस गरीब राज्य के इस पिछड़े भाग मे कुल बीस से पच्चीस करोड़ का व्यवसाय हुआ।
सोचिए सिर्फ एक संत के इतने अल्प प्रवास पर उस क्षेत्र की आर्थिक स्तिथि बदल गई तो जहां हमारे तीर्थ हैं वो लगातार सदियों से उस क्षेत्र की उन्नति में कितना योगदान कर रहे हैं।
ये एक तमाचा है उन वैचारिक पिशाचों के गाल पर जो हरदम कहते रहते हैं कि क्या मन्दिर बनाने से किसी का पेट भरेगा, किसी को रोजगार मिलेगा।
इसे ही कहता हैं सनातन अर्थशास्त्र (Sanatan Economy)।
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के समर्थन में पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती भी खड़े हो गए हैं. शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को अपना प्यारा और लाडला बताया है. शंकराचार्य ने कहा है कि पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सनातन धर्म के लिए अच्छा कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शंकराचार्य होने के नाते वह उनकी आलोचना या समीक्षा तो नहीं करेंगे, लेकिन पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हिंदुओं को जगाने का काम कर रहें हैं, वह उनसे एक बार मिलने के लिए भी आए थे.