डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर की जन्म जयंती पर सर्वप्रथम सभी देशवासियों को शुभकामनाएं, बाबासाहेब भीमराव रामजी आंबेडकर को कोटि कोटि नमन। (बाबासाहेब की वो बातें जो सबसे छुपाई जाती हैं , जो सबको जाननी चाहिए👇👇👇)
दोस्तों बाबासाहेब के नाम पर अनेकों संगठन चलते हैं और लगभग सभी राजनीति पार्टियां उनके नाम का सहारा लेकर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाती है, लेकिन उनसे जुड़े कुछ ऐसे सच जो वास्तव में भारत की जनता के लिए जानना अत्यंत आवस्यक है वो कोई भी नहीं बताता और अपने ही मन से बाबासाहेब के व्यक्तित्व का अपने और अपने राजनीतिक लाभ लिए प्रयोग करते हैं।
आज बाबासाहेब की जयंती के अवसर पर क्यों न हम भी उनके विचार जानें और लोगों तक पहुंचाएं ताकि उनका बाबासाहेब के नाम पर कोई गलत प्रयोग आगे ना हो सके
🚨वतन के बदले क़ुरान के प्रति वफादार हैं मुस्लिम, वो कभी गैर मुस्लिम को अपना भाई नहीं मानेंगे:- बाबा साहब अंबेडकर..
🔊 10 मिनट का समय निकालकर अवश्य पूरा पढ़िए जिससे जाति के नाम पर हिन्दुओं को तोड़ने के जिहादियों के षड़यंत्र को विफल कर आप राष्ट्र, धर्म और स्वयं के अस्तित्व एवं बहन, बेटियों के सम्मान की रक्षा कर सकें।
🛑 बाबा साहब अंबेडकर ने तो बरसों पहले मान लिया था कि भारत कभी भी 'हिन्दुओं और मुस्लिमों के बराबर अधिकार वाला' देश नहीं बन सकता। मुस्लिमों की आस्था केवल कुरान पर निर्भर होगी। मुस्लिम भले स्वयं के शासन में रह रहें हो या फिर किसी और के, वे क़ुरान से ही निर्देशित होंगे। आखिर, इस वास्तविकता को आप कब समझेंगे?
🛑 बाबासाहब का मानना था कि इस्लाम में भाईचारा की बातें उनकी स्वयं की बिरादरी तक ही सीमित हैं
🛑अंबेडकर ने इस्लाम को लेकर क्या कहा था, ये जानना आवश्यक है। अंबेडकर ने इस बात से नाराज़गी जताई थी कि लोग हिन्दू धर्म को विभाजन करने वाला मानते हैं और इस्लाम को एक साथ बाँध कर रखने वाला। अंबेडकर के अनुसार, यह एक अर्ध-सत्य है। उन्होंने कहा था कि इस्लाम जैसे बाँधता है, वह लोगों को उतनी ही कठोरता से विभाजित भी करता है। अंबेडकर मानते थे कि इस्लाम मुस्लिमों और अन्य धर्म के लोगों बीच के अंतर को वास्तविक मानता है और अलग तरीके से प्रदर्शित करता है।
🛑 इस्लाम में अक्सर भाईचारे की बात की जाती है। अमन-चैन और सभी कौमों के एक साथ रहने की बात की जाती है। इस बारे में बाबासाहब ने कहा था कि "इस्लाम जिस भाईचारे को बढ़ावा देता है, वह एक वैश्विक या सार्वभौमिक भाईचारा नहीं है।" बाबासाहब के इस कथन से झलकता है कि वह इस्लाम में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ जैसी किसी भी धारणा होने की बात को सिरे से ख़ारिज कर देते हैं। इसका पता हमें उनकी निम्नलिखित बात से चलता है :
“इस्लाम में जिस भाईचारे की बात की गई है, वो केवल मुस्लिमों का मुस्लिमों के साथ भाईचारा है। इस्लामिक बिरादरी जिस भाईचारे की बात करता है, वो उसके भीतर तक ही सीमित है। जो भी इस बिरादरी से बाहर का है, उसके लिए इस्लाम में कुछ नहीं है - सिवाय अपमान और दुश्मनी के। इस्लाम के अंदर एक अन्य खामी ये है कि ये सामाजिक स्वशासन की ऐसी प्रणाली है, जो स्थानीय स्वशासन को छाँट कर चलता है। एक मुस्लिम कभी भी अपने उस वतन के प्रति वफादार नहीं रहता, जहाँ उसका निवास-स्थान है, बल्कि उसकी आस्था उसके मज़हब से रहती है। मुस्लिम ‘जहाँ मेरे साथ सबकुछ अच्छा है, वो मेरा देश है’ वाली अवधारणा पर विश्वास करें, ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता बाबा साहब आंबेडकर।
🛑 इसके बाद बाबासाहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने जो बातें कही हैं, वो सोचने लायक है और आज भी प्रासंगिक है।
👉बाबासाहब ने कहा था कि इस्लाम कभी भी किसी भी मुसलमान को यह स्वीकार नहीं करने देगा कि भारत उसकी मातृभमि है। बाबासाहब के अनुसार, इस्लाम कभी भी अपने अनुयायियों को यह स्वीकार नहीं करने देगा कि हिन्दू उनके स्वजन हैं, उनके साथी हैं। पाकिस्तान और विभाजन पर अपनी राय रखते हुए बाबासाहब ने ये बातें कही थीं। अंबेडकर की इन बातों पर आज स्वयं को उनका अनुयायी मानने वाले भी चर्चा नहीं करते, क्योंकि ये उनके राजनीतिक हितों को साधने का काम नहीं करेगा। अपना धर्म बदलने की घोषणा करने वाले भीम आर्मी जैसे संगठन भी इस बारे में कुछ नहीं बोलतीं
🛑 बाबासाहब कहते थे कि कोई भी मुस्लिम उसी क्षेत्र को अपना देश मानेगा, जहाँ इस्लाम का राज चलता हो। इस्लाम में जातिवाद और दासता की बात करते हुए अंबेडकर ने कहा था कि सभी लोगों का मानना था कि ये चीजें ग़लत हैं और क़ानूनन दासता को ग़लत माना गया, लेकिन जब ये कुरीति अस्तित्व में थीं, तब इसे सबसे ज्यादा समर्थन इस्लामिक मुल्कों से ही मिला। उन्होंने माना था कि दास प्रथा भले ही चली गई हो लेकिन मुस्लिमों में जातिवाद अभी भी है। अंबेडकर का ये बयान उन लोगों को काफ़ी नागवार गुजर सकता है, जो कहते हैं कि हिन्दू समाज में कुरीतियाँ हैं, जबकि मुस्लिम समाज इन सबसे अलग है। अंबेडकर का साफ़-साफ़ मानना था कि जितनी भी सामाजिक कुरीतियाँ हिन्दू धर्म में हैं, मुस्लिम उनसे अछूते नहीं हैं ये चीजें उनमें कई अधिक हैं।
🛑 बाबासाहब अंबेडकर आगे कहते हैं कि हिन्दू समाज में जितनी कुरीतियाँ हैं, वो सभी मुस्लिमों में हैं ही, साथ ही कुछ ज्यादा भी हैं। मुस्लिम महिलाओं के ‘पर्दा’ प्रथा पर आंबेडकर ने कड़ा प्रहार करते हुए इसकी आलोचना की थी। उन्होंने पूछा था कि ये अनिवार्य क्यों है? जाहिर है, उनका इशारा बुर्का और हिजाब जैसी चीजों को लेकर था। इन चीजों की आज भी जब बात होती है तो घूँघट को कुरीति बताने वाले लोग चुप हो जाते हैं। अंबेडकर में इतनी हिम्मत थी कि वो खुलेआम ऐसी चीजों को ललकार सकें। उनका मानना था कि दलितों को धर्मांतरण कर के मुस्लिम मजहब नहीं अपनाना चाहिए, क्योंकि इससे मुस्लिम प्रभुत्व का ख़तरा वास्तविक हो जाएगा।
🛑 उस समय मुस्लिम कोंस्टीटूएंसी की बात करते हुए बाबासाहब आंबेडकर का कहना था कि वहाँ मुस्लिमों को इससे कोई मतलब नहीं रहता कि उनका उम्मीदवार जीतने के बाद क्या करेगा?आंबेडकर कहते हैं, मुस्लिमों को बस इस बात से मतलब रहता है कि मस्जिद का लैंप बदल दिया जाए, क्योंकि पुराना वाला ख़राब हो गया है। मस्जिद की चादर नई लाइ जाए, क्योंकि पहले वाला फट गया है और मस्जिद की मरम्मत कराई जाए, क्योंकि वो जीर्ण हो चुका है। आंबेडकर को मुस्लिमों के इस सिद्धांत से आपत्ति थी कि जहाँ भी स्थानीय नियम-क़ायदों और इस्लामिक क़ानून के बीच टकराव की स्थिति आए, वहाँ इस्लाम अपने क़ानून को सर्वोपरि मानता है और स्थानीय नियम-क़ायदों को धता बताता है।
🛑 आंबेडकर मानते थे कि मुस्लिमों की आस्था, चाहे वो आम नागरिक हो या कोई फौजी, केवल क़ुरान पर ही निर्भर रहेगी।आंबेडकर के अनुसार, मुस्लिम भले ही स्वयं के शासन में रह रहें हो या फिर किसी और के, वो क़ुरान से ही निर्देशित होंगे। आंबेडकर ने तभी यह मान लिया था कि भारत कभी भी ‘हिन्दुओं और मुस्लिमों के बराबर हक़ वाला’ देश नहीं बन सकता। बाबासाहब का साफ़ मानना था कि भारत मुस्लिमों की भूमि बन सकती है, लेकिन हिन्दुओं और मुस्लिमों, दोनों का एक कॉमन राष्ट्र नहीं बन सकता। क्या आज के नेतागण और सामाजिक कार्यकर्ता बाबासाहब के इन कथनों पर चर्चा के लिए तैयार हैं? या फिर सेलेक्टिव चीजें ही चलेंगी?
🔊 राष्ट्रभक्त बाबा साहब आंबेडकर के नाम पर भारतविरोधी वामपंथियों व इस्लामिक राष्ट्र बनाने के सपने सँजोये जिहादियों ने मिलकर बहुत कुप्रचार किये हैं इनके द्वारा हिंदुओं के बड़े वर्ग को धर्म से काटने के लिए उनके आदर्श बाबा साहब आंबेडकर द्वारा अपनी पुस्तक Pakistan or Partition of India में इस्लाम/मुसलमानों की मानसिकता पर तथ्यों व तर्कों के साथ रखे विचारों को छिपाया जाता रहा है ऐसे में हमारा कर्तव्य बनता है बाबा साहब के इस्लाम आदि पर रखे विचारों को जन-जन तक पहुंचा परम राष्ट्रभक्त बाबा साहब के नाम पर जिहादियों व वामपंथियों के द्वारा किये जा रहे इन षड्यंत्र को क्रूरता से कुचल दे।
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