🔸क्या आप ये भी जानते हैं? की
भगवान श्री कृष्ण को माखन मिश्री ही क्यों पसंद ?
🔸आपने सुना होगा या घटित हुआ होगा , जिनके घर बुजुर्ग होते है , वहा आज भी होता होगा की बचपन में जब हम परीक्षा देने के लिए विद्यालय जाते थे तो हमारी दादी हमारी नानी कहते थे कि "दही शक्कर खाकर जाना पेपर अच्छा होगा"
जी हां माखन और मिश्री या दही में यदि देसी खांड या मिश्री शक्कर डालकर कहीं जाने से पहले खायी जाती है तो हर कार्य में सफलता मिलने के चांस बहुत ज्यादा बढ जाते हैं ।
“ये कोई भ्रांति या अंध विश्वास नहीं है,
इसके पीछे छुपा है गूढ़ भारतीय विज्ञान।”
माखन और दही में मौजूद प्रोटीन के अलावा कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, विटामिन B6 और विटामिन B12 जैसे पोषक तत्व भी होते हैं, जो शरीर में एनर्जी लेवल बरकरार रखते हैं।
मिश्री खाने से शरीर को ग्लूकोज मिलता है, जो शरीर के लिए बहुत जरूरी है।
इसके अलावा एक और सब से बड़ी बात माखन और दही में मौजूद होता है गुड बैक्टीरिया जो मिश्री डालने से गुणात्मक रूप में बढता है जो आपके शरीर में सेरोटोनिन और डोपामिन हार्मोन्स का स्तर ऊंचा कर देता है और आप प्रसन्नता और उल्लास में रहते हैं तथा विटामिन B6 and B12 स्मृति को मजबूत रखता है ।
इससे भी बड़ी बात जब आपके शरीर में सकारात्मक सूक्ष्म जीवों (गुड बैक्टीरिया )का समूह जब प्रवेश करता है तो आपका आभामंडल ऑरा सकारात्मक ऊर्जा से भर उठता है नभिचक्र यानि मणिपुर चक्र में ऊर्जा प्रवाह बढ़ता है ।
ये शरीर सूक्ष्म जीवों का बना छोटा ब्रह्मांड ही तो है।
अतः किसी भी कार्य के शुभारंभ से पूर्व दही-मिश्री खाने से स्ट्रैस ,अनिश्चितता ,भय वैज्ञानिक रूप से समाप्त हो जाते हैं और हम और अधिक ऊर्जा एवं शक्ति के साथ काम करने लगते हैं।
सारा खेल ऊर्जा का ही तो है
जिस काम में जितनी ऊर्जा सकारात्मकता प्रसन्नता लगेगी उसकी सफलता के उतने ही अधिक परिणाम होंगें ।
सनातन धर्म🚩 की एक एक परंपरा शुद्ध विज्ञान है।
प्राचीन भारतीय भोजन और भोजन में छुपे वैज्ञानिक महत्व को पूर्ण रूप से जानते थे।