जानकारी के अनुशार, BA की परीक्षा पास करने के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही रेनू की दोस्ती ‘सौरभ’ नाम के लड़के से हो गई। कुछ दिनों बाद रेनू को पता चला कि सौरभ वास्तव शाहरुख है। जिसके बाद रेनू ने उससे दूरी बनानी शुरू की। इससे नाराज शाहरुख ने रेनू को धमकी दी। रेनू पर धर्मपरिवर्तन कर निकाह करने का दबाव बनाना शुरू किया।
परिजनों के अनुसार शाहरुख ने धमकी दी कि यदि रेनू ने उसके साथ निकाह नहीं किया तो वह उसे मोहल्ले से लेकर सोशल मीडिया तक पर बदनाम कर देगा और पिता तथा भाई को सारी बात बता देगा । धमकियों से परेशान रेनू ने शाहरुख का फोन उठाना बंद कर दिया। 12 अप्रैल 2023 को शाहरुख रेनू के घर के पास आ धमका। इससे रेनू बुरी तरह डर गई और घर में फाँसी लगाकर जान दे दी।
अब सोचिए की दोस्ती ही थी तो आखिर जेहादी शाहरुख क्या बात बता देता पिता और भाई को? आखिर क्या बात छुपा रही थी रेणु अपने ही पिता और भाई से जिसकी सजा उसे मौत के रूप में मिली।
हमारा कहने का तात्पर्य यह है की असल समस्या जिहादी है या हमारी बच्चियों के पास संस्कारों का अभाव, ज्ञान का अभाव और हमारे समाज में इन जिहादियों के प्रतिकार का अभाव क्योंकि कई जगह हमने देखा है कि यदि हमारी बच्चियां इन जिहादियों के चंगुल में नहीं भी फसती तो भी वह किसी प्रकार से जेहादी उन्हें अपना शिकार बना ही लेते हैं और उसके बाद उन जिहादियों का कुछ नहीं बिगड़ता जिसके कारण उनका मनोबल बढ़ता है और वह आगे से आगे हमारी बच्चियों के साथ इस प्रकार के कुकर्म करते रहते हैं या नहीं यहां सबसे जरूरी चीज है जिहादियों के विरुद्ध हिंदू समाज का एकजुट होकर जबरदस्त प्रतिकार करना।
उत्तर प्रदेश में और उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में भी लव जिहाद के विरुद्ध कानून बने हुए हैं लेकिन क्या लव जिहाद रुका यह बड़ा प्रश्न है जो सभी हिंदू बच्चियों के परिजनों को अपने आप से बड़ी गंभीरता से पूछना चाहिए।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के कानपुर में पिछले 10 दिनों में छेड़खानी, ब्लैकमेलिंग और धमकी से परेशान होकर 4 लड़कियों ने आत्महत्या कर ली, उसमें से ही एक रेणु भी है जो लव जिहाद का शिकार बनी। रेणु के अलावा बाकी तीनों लड़कियां जिहादियों द्वारा छेड़खानी, धमकी के कारण आत्महत्या करती हैं
हिंदू समाज के लिए अपनी बच्चियों को सुरक्षित करना एक बहुत बड़ा चुनौती का विषय बन चुका है एक तो हमारी बच्चियों को हम संस्कार नहीं देते, दूसरा उन्हें धर्म ज्ञान नहीं देते और तीसरा उन्हें छेड़खानी धमकी आदि से लड़ने की हिम्मत नहीं देते। सही देखा जाए तो संस्कारों और धर्म ज्ञान का अभाव ही उन्हें कमजोर बनाता है जिसके कारण वह छेड़खानी या धमकी का प्रत्युत्तर देने की बजाय उससे डर के आत्महत्या कर लेती है।
बॉलीवुड और कथित महिला सशक्तिकरण वालों के चक्कर में आकर हम अपनी बच्चियों को आजादी तो देते हैं लेकिन उनके जीवन को सही दिशा नहीं दे पाते और उसका दुष्परिणाम हमारी बच्चियों को भविष्य में कहीं ना कहीं भोगना ही पड़ता है तो निष्कर्ष यही है कि बच्चियों के साथ होती दुर्गति का कारण वास्तव में कोई जिहादी नहीं अपितु उन बच्चियों के परिजन ही है।