अगर आप कभी अजमेर गए हैं तो आप अढाई दिन के झोपडे़ के बारे में ज़रूर जानते होंगे,
लेकिन वह सच्चाई नहीं है जो आप जानते हैं।
कभी कभी खुद पर बहुत हंसी और ग्लानि होती हैं कि कैसे हम लोगों को चूतियानंदन बनाया गया सदियों तक और हम लोग बनते रहे।
खैर जब जागो तभी सवेरा।
स्वास्त्विक और मूर्ति होने के बाद भी लोग इसे मस्जिद कहते है ।
अढ़ाई दिन का झोपड़ा
- कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे मात्र ढाई दिन में बनाया था,
ऐसा हमने बचपन से कांग्रेसी सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई गई वामपंथी सेक्युलर इतिहासकारो की पुस्तको में पढ़ा ।
उसमे अब सुधार करने की जरूरत है ।
कांग्रेस ने हमे गलत पढ़ाया।
क्योंकि वर्तमान समय 2020 मे हम जान चुके हैं की इस्लाम धर्म के प्रतीक चिन्ह क्या है ?
और वे मूर्ति से कितनी घृणा करते हैं,इस अढ़ाई दिन के झोंपड़े पर आप खुद देख सकते है,
खिड़की पर स्वस्त्विक का निशान भी है और आगे फिर मूर्तिया भी ।
और एक साधरण सी बात है,
इस मंदिर की विशालता एवं बारीक कारीगरी देख कर कहीं से भी लगता है कि ऐसा निर्माण आधुनिक मशीनों के साथ भी ढाई दिन में हो सकता है ?
दरअसल कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे ढाई दिन में बनाया नही था,
बल्कि तौड़ा था ।
इस मंदिर में पुराना शिलालेख और श्लोक आदि आज भी है,
जिससे इस मंदिर के विग्रहराज चौहान द्वारा बनाये जाने के पुख्ता प्रमाण है,
वह शिलालेख आज भी इस मंदिर में है,
लेकिन हिन्दू पता नही,
कौनसा नशा करके सोए है।
और बहुत से लोग माँ वैष्णों देवी और महिषासुर के तरह ये भी बोलते हैं कि यहाँ गये बिना आपकी फरियाद अजमेर के खवा्जा नहीं सुनेंगे।
वास्तव में हम लोग इतने सरल हो गए कि कोई भी चूति यानंदन बना देता हैं।
जय श्री सनातन 🚩
सनातन धर्म ही सत्य है 🚩

