जब संत और कथावाचक समाज में बुरी आदतों से छुटकारा दिलवाने की बात करते हैंजैसे गुटखा, शराब और जुए जैसी लतों से मुक्ति तो कुछ न्यूज़ चैनलों को इससे आपत्ति क्यों होती है?क्या इसलिए कि इन संतों की वाणी उन 'हजारों करोड़' की लतों को चोट पहुँचाती है, जिनसे इन चैनलों की कमाई जुड़ी होती है?
आचार्य जी का सीधा सवाल है—"जब कोई आपके परिवार को बर्बादी की राह से बचाने की कोशिश करे, तो आप उसका साथ देंगे या विरोध करेंगे..? हिंदुओं को अब अपने विवेक से विचार करना होगा कि समाज के लिए क्या सही है और क्या गलत है...? जो गलत है उसका विरोध और सही का समर्थन करना अत्यंत आवश्यक है।