🔹 पुर्तगाली सेना का गोवा पर क़ब्ज़ा
पुर्तगाली सेना के जनरल अफोंसो डी अल्बुकर्क ने 25 नवंबर 1510 को आदिल शाही के विरुद्ध गोवा पर विजय प्राप्त की, पुर्तगाली सेना ने केवल एक दिन में लगभग “800 तुर्क और 6,000 से अधिक मूरों (मुसलमान) को मौत के घाट उतार दिया ”, और मरने वालों में सैनिकों के साथ-साथ नागरिक भी शामिल थे। अल्बुकर्क द्वारा गोवा पर विजय प्राप्त करने के तुरंत बाद, ईसाई धर्म प्रचार शुरू हो चुका था। पुर्तगाली-नियंत्रित क्षेत्रों में रहने वाले हिंदुओं का व्यवस्थित उत्पीड़न और जबरन धर्मांतरण 1540 में कट्टरपंथी कैथोलिक पादरी मिगुएल वास और डिएगो बोरबा के आगमन के बाद शुरू हो गया!
🔹 पुर्तगाल के राजा ने गोवा के हिंदू मंदिरो को ध्वस्त करने के आदेश दिये
1546 में, पुर्तगाली राजा ने एक आदेश जारी किया जिसके तहत पुर्तगाली क्षेत्रों में हिंदू मंदिरों को नष्ट करने की अनुमति दी गई और हिंदू त्योहारों के सार्वजनिक उत्सवों पर रोक लगा दी गई। 1549 तक, दिवार द्वीप पर सभी हिंदू मंदिरों को जमींदोज कर दिया गया और उनकी संपत्ति को उनके स्थान पर बनाए गए नए चर्चों से जोड़ दिया गया। 1560 और 1575 के बीच, अकेले साल्सेटे जिले में लगभग 300 मंदिर नष्ट कर दिए गए।
🔹ध्वस्त हिन्दू मंदिरों की जायदादों को चर्च को आवंटित
पुर्तगाली शासकों ने मार्च, 1569 को एक आदेश घोषित किया जिसके अनुसार बारडेज और सालसेट में ध्वस्त किए गए सभी 500 हिन्दू मन्दिरों की सम्पत्तियों से होने वाली आमदनी को ईसाई चर्चों के लिए हस्तान्तरित कर दी गई तथा उस क्षेत्र के हिन्दू निवासियों को जबरन बुलाकर यह पूछा गया कि वे सौगन्ध खाकर यह बताएं कि इन मन्दिरों की अन्य सम्पत्तियों के बारे में ब्यौरा दें और विवशतावश उन्होंने समस्त जानकारी दी। परिणामस्वरूप सभी भग्न मंदिरों की सम्पत्तियां गिरजाघरों को हस्तान्तरित कर दी गईं। अनेक जगहों पर नष्ट किए गए मन्दिरों की जगह नए गिरजाघर खड़े कर दिए गए।इतना ही नहीं, जब हिन्दुओं ने पुर्तगाली सीमा क्षेत्रों से बाहर मन्दिर बनाए और उन्हें आर्थिक सहायता दी तो 1585 में तीसरी प्रादेशिक सभा के निर्णय के अनुसार पुर्तगाली राजा से प्रार्थना की गई कि हिन्दुओं द्वारा पड़ोसी सीमावर्ती क्षेत्रों में मन्दिर बनाने और उनके रख-रखाव व व्यवस्था के लिए आर्थिक सहायता देने पर प्रतिबन्ध लगाया जाए.
🔹 पुर्तगालीयो द्वारा हिंदुओ का जबरन ईसाई धर्मांतरण तथा अमानवीय अत्याचार
1560 में, गोवा के पुर्तगाली वायसराय ने पुर्तगाली क्षेत्रों में रहने वाले सभी हिंदुओं को या तो ईसाई धर्म अपनाने या फिर उस जगह को छोड़ने का आदेश दिया। इसके अलावा, कुछ दशकों बाद, पूरे पुर्तगाली क्षेत्र में हिंदू विवाहों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। दाह संस्कार पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया और हिंदुओं को अपने मृतकों का दाह संस्कार बेड़ों पर करने और उन्हें नदी में बहा देने के लिए मजबूर किया गया।
🔹अनाथ बच्चों का बलपूर्वक ईसाई धर्म में धर्मांतरण
1559 में पुर्तगाली राजा डी. सेबेस्टियन ने एक आदेश पारित किया कि अनाथ हिंदू बच्चों को “तुरंत गोवा की जीसस सोसाइटी के सेंट पॉल कॉलेज को सौंप दिया जाना चाहिए, ताकि उनको बपतिस्मा (धर्मांतरण),और शिक्षा दी जा सके”। शाही आदेश को 1564 में वायसराय डी. एंटाओ डी नोरोन्हा और 1575 में गवर्नर एंटोनियो मोनिज़ बैरेट ने समर्थन दिया, परिणामस्वरूप, हिंदू बच्चों का अपहरण करके उन्हें जबरन ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के कई मामले सामने आए। कई हिंदू अपने बच्चों को पुर्तगाली क्षेत्रों से तस्करी करके गोवा के बाहर बसे अपने रिश्तेदारों के पास ले गए.
🔹 छल, कपट, दंड और भय से बदल दी गई सनातनी हिंदुओं की हजारों साल पुरानी जीवनशैली
पुर्तगालियों ने गोवा के लोगों पर सिर्फ़ ईसाई धर्म ही नहीं थोपा, बल्कि उन्होंने स्थानीय संस्कृति, भाषा और यहाँ तक कि पहनावे को भी पूरी तरह मिटा दिया। हिंदुओं को जनेऊ या उनके पारंपरिक परिधान पहनने से मना किया गया। मराठी और संस्कृत में लिखी हिंदू धार्मिक पुस्तकों को सार्वजनिक रूप से जलाया गया।
धर्मांतरित ईसाइयों को पूरी तरह से विदेशी जीवनशैली अपनाने के लिए मजबूर किया गया - उन्हें पश्चिमी पोशाक पहनने और सूअर का मांस और गोमांस खाने के लिए मजबूर किया गया। धर्मांतरित ईसाई महिलाओं को बालों में फूल लगाने जैसी सांस्कृतिक प्रथा का पालन करने से मना किया गया.
🔹 फ्रांसिस जेवियर की हिंदुओ के प्रति ध्रुणा
फ्रांसिस जेवियर, जिन्हें विडंबना यह है कि अब संत के रूप में पूजा जाता है, गोवा में जेसुइट मिशनरी के रूप में आए थे। उनके मन में 'मूर्तिपूजकों' के प्रति गहरी नफरत थी और उन्होंने इसे अपने पत्रों में व्यक्त किया :"जब भी मैं मूर्तिपूजा के किसी कृत्य के बारे में सुनता हूँ, तो मैं इन (धर्मांतरित) बच्चों के एक बड़े समूह के साथ उस स्थान पर जाता हूँ। बच्चे मूर्तियों की ओर दौड़ते हैं, उन्हें परेशान करते हैं, उन्हें नीचे गिराते हैं, उन्हें टुकड़े-टुकड़े करते हैं, उन पर थूकते हैं, उन्हें रौंदते हैं, उन्हें लात-घूंसों से मारते हैं और, संक्षेप में, उन पर हर संभव अत्याचार करते हैं।"
🔹कपटाचार द्वारा धर्मान्तरण
1685 में, डी. नोबली नामक एक अन्य जैसुआइट पादरी भारत के मदुराई क्षेत्र में आया। उसने यहाँ हिन्दू ब्राह्मण सन्यासी जैसे कपड़े धारण किए और अपने को 'रोम निवासी ब्राह्मण' बताकर इस क्षेत्र के लाखों हिन्दुओं को ईसाईयत में धर्मान्तरित किया।
🔹 पुर्तगालियों द्वारा सांस्कृतिक नरसंहार
ऐसा माना जाता है कि 1561 से 1774 के वर्ष के बीच, 16,000 से अधिक लोगों पर मुकदमा चलाया गया। उनमें से कुछ हिंदू और यहूदी थे, लेकिन उनमें से अधिकांश नए धर्मांतरित ईसाई थे, जिन्हें प्रताड़ित किया गया और बाद में उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया क्योंकि माना जाता था कि वे निजी तौर पर अपने पुराने धर्म का पालन कर रहे थे। पुर्तगाली न केवल गैर-ईसाइयों के प्रति बल्कि नए धर्मांतरित लोगों के प्रति भी हिंसक थे।