राज्यसभा के लिए मनोनीत हुए सदानंदन मास्टर जी केरल में वामपंथियों ने इनके दोनों पैर काट दिए थे 😨,,, अंतहीन प्रताड़ना दी थी इसके बाद भी......#SadanandanMaster जी रुके नहीं और भगवा ध्वज को 🚩 प्रणाम करते हुए समाज सेवा करते रहे अब ऐसे महापुरुष की उपस्थिति से राज्यसभा भी मुस्कुरा उठेगी।
वामपंथियों ने उनके पैर काटे थे, राष्ट्रपति जी ने उन्हें राज्यभसभा भेजा है !!!!!!! ऐसी महान हस्ती के बारे में देश को जरूर जानना चाहिए जो देश और धर्म के प्रति इतने समर्पित हुए कि दोनों पैर काटे जाने के बाद भी थमे नहीं... पढ़ें पूरा आर्टिकल और जानिए सदानंद मास्टर जी के बारे में.. एक संघी जिसकी रगों में संघ के खून बह रहा था जिसने राष्ट्रसेवा के ध्येय को किसी भी चुनौती के सामने ठंडा नहीं पड़ने दिया
देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 4 हस्तियों को राज्यसभा के लिए नामित किया है। राज्यसभा के लिए नामित किए जाने वालों में पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, अजमल कसाब के खिलाफ केस लड़ने वाले वकील उज्जवल निकम, इतिहासकार मीनाक्षी जैन और सामाजिक कार्यकर्ता C सदानंदन मास्टर हैं।
इन चारों नामों को राज्यसभा में नामित करने का फैसला राष्ट्रपति ने रविवार (13 जुलाई, 2025) को लिया है। राज्यसभा में 12 ऐसे सदस्य राष्ट्रपति नामित करते हैं। लेकिन इस बार नामित होने वाली हस्तियों में एक नाम सबसे अलग है। यह नाम केरल से आने वाले स्वयंसेवक C सदानंदन मास्टर का है जिनके पैर कम्युनिस्टों ने 1994 में काट दिए थे।
सदानंदन मास्टर को राज्यसभा में नामित किए जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी बधाई दी है। उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा. “श्री C सदानंदन मास्टर का जीवन साहस और अन्याय के आगे न झुकने की प्रतिमूर्ति है। हिंसा और धमकी भी राष्ट्र विकास के प्रति उनके जज्बे को डिगा नहीं सकी।”
Shri C. Sadanandan Master’s life is the epitome of courage and refusal to bow to injustice. Violence and intimidation couldn’t deter his spirit towards national development. His efforts as a teacher and social worker are also commendable. He is extremely passionate towards youth…
— Narendra Modi (@narendramodi) July 13, 2025
उन्होंने आगे लिखा, “एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी उनके प्रयास सराहनीय हैं। युवा सशक्तिकरण के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता है। राष्ट्रपति जी द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनीत होने पर उन्हें बधाई। सांसद के रूप में उनकी भूमिका के लिए शुभकामनाएँ।”
कौन हैं सदानंदन मास्टर?
61 साल के केरल के C सदानंदन मास्टर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए नामित किया है। सदानंदन मास्टर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य रहे हैं। वह बीते लगभग 5 दशक से RSS के स्वयंसेवक हैं। केरल के कन्नूर के रहने वाले सदानंदन मास्टर पेशे से शिक्षक रहे हैं।
सदानंदन मास्टर का पूरा परिवार ही कम्युनिस्टों का था। उनके पिता और भाई सक्रिय वामपंथी कार्यकर्ता थे। सदानंदन मास्टर के भाई वामपंथी छात्र संगठन SFI के पुराने काडर थे। घर में सभी के कम्युनिस्ट होने के बावजूद सदानंदन मास्टर का झुकाव RSS की तरफ था।
2016 में द न्यूज मिनट को दिए एक इंटरव्यू में सदानंदन मास्टर ने बताया था कि वह 12वीं तक लगातार संघ के कामों में लगे हुए थे। उन्होंने बताया था कि इसके बाद वह जब आगे की पढ़ाई के लिए कॉलेज पहुँचे तो वह वामपंथ के प्रभाव में आ गए और कुछ दिनों तक खुद भी कम्युनिस्ट बन गए।
उन्होंने बताया कि कम्युनिस्ट बनने के बावजूद उनका झुकाव संघ की तरफ होता रहा और उनको यह प्रतीत हुआ मार्क्सवाद नहीं बल्कि राष्ट्रवाद की विचारधारा ही सही है। उन्होंने बताया था कि इसके बाद वह मलयालम कवि की ‘भारत दर्शानांगल’ कविता पढ़ने के बाद पूरी तरह वापस स्वयंसेवक हो गए।
सदानंदन मास्टर की लगातार समाजसेवा और उनके संघर्ष को देखते हुए 2016 में उन्हें भाजपा ने कूथूपरम्बू विधानसभा से टिकट भी दिया था। हालाँकि, वह कम्युनिस्ट उम्मीदवार KK शैलजा से हार गए थे। KK शैलजा बाद में केरल की स्वास्थ्य मंत्री बनी थीं।
सदानंदन मास्टर की कहानी इन सबसे अलग एक और है। यह कहानी उनके विचारधारा के प्रति समर्पण और कम्युनिस्टों की हिंसा से जुड़ी हुई है। सदानंदन मास्टर की यह कहानी 1994 में पैर काटे जाने से जुड़ी है। यह कीमत उन्हें वामपंथी विचारधारा छोड़ने के लिए चुकानी पड़ी थी।
1994 का वो हादसा और मास्टर सदानंदन
सदानंदनन 30 साल की थी जब यह भयावह घटना हुई थी। वह पेरिनचरी, मट्टनूर नगर पालिका में सरकार-एडेड कुजिक्कल लोअर प्राइमरी स्कूल में एक शिक्षक थे। 25 जनवरी, 1994 को सदानंदन मास्टर अपनी बहन की शादी की व्यवस्था पर बात करने के बाद शाम को अपने चाचा के घर से लौट रहे थे।
जैसे ही वह बस से नीचे उतरे और अपने घर की ओर चलना शुरू कर दिया, कुछ लोगों ने उन्हें घेर लिया। उन्होंने उनकी पिटाई चालू कर दी। यह CPI(M) के गुंडे थे। जिन्होंने न केवल मास्टर को बेरहमी से पीटा, बल्कि उनके दोनों पैरों को बीच सड़क पर काट दिया।
खून के प्यासे वामपंथियों ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि सदानंदन मास्टर अब उनकी विचारधारा से ताल्लुक नहीं रखते थे औ RSS का हिस्सा बन चुके थे। कम्युनिस्ट इसे एक धमकी के तौर पर दिखाना चाहते थे कि जो भी वामपंथ छोड़ेगा, उसका यही हश्र होगा।
कन्नूर की भीड़ में मौजूद कोई व्यक्ति उन्हें बचाने ना आए, इसके लिए वामपंथियो ने वहाँ पर एक बम धमाका भी किया। इसके बाद उन्हें वहीं ऐसे छोड़ दिया। उनको बाद में अस्पताल में भर्ती करवाया गया और उनके पैर भी अस्पताल ले जाए गए।
लड़े और जीते RSS के मास्टर
पैर काटे जाने के चलते मास्टर सदानंदन चलने-फिरने में सक्षम नहीं रहे थे। उनका कई दिनों तक अस्पताल में इलाज चला। सदानंदन मास्टर को इसके बाद प्रोस्थेटिक लेग्स यानी नकली पैर लगाए गए। उन्होंने इनसे चलना 6 महीने में सीख लिया और वापस संघ के काम में लग गए।
कम्युनिस्टों का जानलेवा हमला भी उन्हें रोक नहीं पाया। निरंतर वह समाजसेवा में जुटे रहे। सदानंदन मास्टर ने इसके बाद केरल में भाजपा को खड़ा करने में सहयोग दिया। उनके चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी हिस्सा लिया था और उनके साहस की प्रशंसा की थी।
वर्ष 2007 में उन्हें न्याय मिला था और उन पर हमला करने वाले कम्युनिस्टों को सजा और जुर्माना दोनों दिया गया था। बाद में हाई कोर्ट ने भी कम्युनिस्टों की यह सजा बरकरार रखी थी। 2025 में भी केरल हाई कोर्ट ने इस सजा बरकरार रखा था।