गाय के थनों के प्रति इन मजहबी हैवानों में एक विशेष झुकाव होता है।ठीक 2 महीने पहले शेख नसरू नामक एक व्यक्ति को आरएसएस सदस्य की 3 जीवित गायों के थन काटने के आरोप में बेंगलुरु कर्नाटक में गिरफ्तार किया गया था। हालाँकि बेंगलुरु पुलिस (सिद्दारमैया सरकार के तहत) ने यह दावा कर के नसरू के खिलाफ मामले को कमजोर कर दिया कि वह मानसिक रूप से अस्थिर है और जब यह कृत्य किया तब नशे में भी था।
उन्होंने हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले कठोर कृत्यों के तहत उन पर मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया।उस पर केवल पशु क्रूरता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया और जमानत पर रिहा कर दिया गया। माहिम दरगाह के सामने स्टालों से खिरी कबाब का आनंद लेने के बारे में "रणवीर अल्लाबादिया" की इंटाग्राम पोस्ट को भी ध्यान से देखें और बिंदुओं को जोड़ें।
कोई भी सच्चा सनातनी गाय के थन से बने खीरी कबाब खाने जैसी बात सपने में भी नहीं सोच सकता।लेकिन फिर कोई सनातनी अपने माता-पिता को दुनिया के सामने नीचा दिखाने के बारे में भी नहीं सोचेगा।यह उस विकृति का प्रतीक है जो केवल मज़हब में पाई जाती है। जो लोग यह तर्क दे रहे हैं कि भाजपा सरकार उन्हें सज़ा देने में अति कर रही है,उन्होंने उसके नैतिक पतन की हद को नहीं समझा है।