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🔏 लेखक : पंकज सनातनी
रक्षासूत्र (राखी) मात्र एक धागा नहीं बल्कि शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का पुलिंदा है। यही सूत्र जब वैदिक रीति से बनाया जाता है और भगवन्नाम व भगवद्भाव सहित शुभ संकल्प करके बाँधा जाता है तो इसका सामर्थ्य असीम हो जाता है।
प्रतिवर्ष श्रावणी-पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्यौहार होता है, इस दिन बहनें अपने भाई को रक्षा-सूत्र बांधती हैं। यह रक्षासूत्र यदि वैदिक रीति से बनाई जाए तो शास्त्रों में भी उसका बड़ा महत्व है।
❄️ कैसे बनाएं वैदिक राखी —
वैदिक राखी बनाने के लिए सबसे पहले एक छोटा-सा ऊनी, सूती या रेशमी पीले कपड़े का टुकड़ा लें।
१. दूर्वा
२. अक्षत (साबूत चावल)
३. केसर या हल्दी
४. शुद्ध चंदन
५. सरसों के साबूत दाने
इन पाँच चीजों को मिलाकर कपड़े में बाँधकर सिलाई कर दें। फिर कलावे से जोड़कर राखी का आकार दें। सामर्थ्य हो तो उपरोक्त पाँच वस्तुओं के साथ स्वर्ण (सोना) भी डाल सकते हैं।
❄️ वैदिक राखी का महत्त्व —
वैदिक राखी में डाली जाने वाली वस्तुएँ हमारे जीवन को उन्नति की ओर ले जाने वाले संकल्पों को पोषित करती हैं।
💫 (१) दूर्वा :
- जैसे दूर्वा का एक अंकुर जमीन में लगाने पर वह हजारों की संख्या में फैल जाती है, वैसे ही "हमारे भाई या हितैषी के जीवन में भी सद्गुण फैलते जायें, बढ़ते जायें" इस भावना का द्योतक है दूर्वा। दूर्वा गणेशजी की प्रिय है अर्थात हम जिनको रक्षासूत्र (राखी) बाँध रहे हैं उनके जीवन में आने वाले विघ्नों का नाश हो जाये।
💫 (२) अक्षत (साबूत चावल) :
- हमारी भक्ति और श्रद्धा भगवान के, गुरु के चरणों में अक्षत हो, अखंड और अटूट हो, कभी क्षत-विक्षत न हो — यह अक्षत का संकेत है। अक्षत पूर्णता की भावना के प्रतीक हैं। जो कुछ अर्पित किया जाए, पूरी भावना के साथ किया जाये।
💫 (३) केसर या हल्दी :
- केसर की प्रकृति तेज होती है अर्थात् हम जिनको यह रक्षासूत्र (राखी) बाँध रहे हैं उनका जीवन तेजस्वी हो। उनका आध्यात्मिक तेज, भक्ति और ज्ञान का तेज बढ़ता जाये। केसर की जगह पिसी हल्दी का भी प्रयोग कर सकते हैं। हल्दी पवित्रता व शुभ का प्रतीक है। यह नजरदोष व नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करती है तथा उत्तम स्वास्थ्य व सम्पन्नता लाती है।
💫 (४) चंदन :
- चंदन दूसरों को शीतलता और सुगंध देता है। यह इस भावना का द्योतक है कि जिनको हम रक्षासूत्र (राखी) बाँध रहे हैं, उनके जीवन में सदैव शीतलता बनी रहे, कभी तनाव न हो। उनके द्वारा दूसरों को पवित्रता, सज्जनता व संयम आदि की सुगंध मिलती रहे। उनकी सेवा-सुवास दूर तक फैले।
💫 (५) सरसों :
- सरसों तीक्ष्ण होती है। इसी प्रकार हम अपने दुर्गुणों का विनाश करने में, समाज-द्रोहियों को सबक सिखाने में तीक्ष्ण बनें।
★ अतः यह वैदिक रक्षासूत्र (राखी) वैदिक संकल्पों से परिपूर्ण होकर सर्व-मंगलकारी है।
♀️ रक्षासूत्र (राखी) बाँधते समय यह श्लोक बोला जाता है —
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥
♀️ रक्षासूत्र बाँधते समय एक श्लोक और पढ़ा जाता है जो इस प्रकार है —
ॐ यदाबध्नन्दाक्षायणा हिरण्यं, शतानीकाय सुमनस्यमाना:।
तन्मस्आबध्नामि शतशारदाय, आयुष्मांजरदृष्टिर्यथासम्॥
👉🏾 इस मंत्रोच्चारण व शुभ संकल्प सहित वैदिक रक्षासूत्र (राखी) बहन अपने भाई को, माँ अपने बेटे को, दादी अपने पोते को बाँध सकती है। यही नहीं, शिष्य भी यदि इस वैदिक राखी को अपने सद्गुरु को प्रेमसहित अर्पण करता है तो उसकी सब अमंगलों से रक्षा होती है तथा भक्ति बढ़ती है।
महाभारत में यह रक्षासूत्र (राखी) माता कुंती ने अपने पोते अभिमन्यु को बाँधी थी। जब तक यह धागा अभिमन्यु के हाथ में था तब तक उसकी रक्षा हुई, धागा टूटने के पश्चात अभिमन्यु की मृत्यु हुई।
इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई वैदिक रक्षासूत्र (राखी) को शास्त्रोक्त नियमानुसार बांधते हैं। हम पुत्र-पौत्र एवं बंधुजनों सहित वर्ष भर सुखी रहते हैं।
❄️ रक्षा सूत्रों के विभिन्न प्रकार —
💫 विप्र रक्षा सूत्र : रक्षाबंधन के दिन किसी तीर्थ अथवा जलाशय में जाकर वैदिक अनुष्ठान करने के बाद सिद्ध रक्षासूत्र को विद्वान पुरोहित ब्राह्मण द्वारा स्वस्तिवाचन करते हुए यजमान के दाहिने हांथ में बांधना शास्त्रों में सर्वोच्च रक्षासूत्र माना गया है।
💫 गुरु रक्षा सूत्र : सर्वसामर्थ्यवान गुरु अपने शिष्य के कल्याण के लिए इसे बांधते हैं।
💫 मातृ-पितृ रक्षा सूत्र : अपनी संतान की रक्षा के लिए माता-पिता द्वारा बांधा गया रक्षा सूत्र शास्त्रों में "करंडक" कहा जाता है।
💫 भातृ रक्षा सूत्र : अपने से बड़े या छोटे भैया को समस्त विघ्नों से रक्षा के लिए बांधी जाती है देवता भी एक दूसरे को इसी प्रकार रक्षा सूत्र बांध कर विजय पाते हैं।
💫 स्वसृ-रक्षासूत्र : पुरोहित अथवा वेदपाठी ब्राह्मण द्वारा रक्षा सूत्र बांधने के बाद बहन का पूरी श्रद्धा से भाई की दाहिनी कलाई पर समस्त कष्ट से रक्षा के लिए रक्षा सूत्र बांधती है। भविष्य पुराण में भी इसकी महिमा बताई गई है। इससे भाई दीर्घायु होता है एवं धन-धान्य सम्पन्न बनता है।
💫 गौ-रक्षा सूत्र : अगस्त संहिता अनुसार गौमाता को राखी बांधने से भाई के रोग शोक दूर होते है। यह विधान प्राचीन काल से चला आ रहा है।
💫 वृक्ष रक्षा सूत्र : यदि कन्या का कोई भाई ना हो तो उसे वट, पीपल, गूलर के वृक्ष को रक्षा सूत्र बांधना चाहिए पुराणों में इसका विशेष उल्लेख है।
आप सभी को सनातनियों को रक्षाबंधन पर्व की अग्रिम शुभकामनाएं। 🙏
#Raksha_Bandhan
✍️ साभार
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