कुछ चित्रों पर जब निगाह पड़ जाती है तो ह्रदय में एक दर्दभरी लहर उठती है...चंदन गुप्ता हों या पालघर के सन्त या उदयपुर के कन्हैय्या लाल...या हो बंगाल का पाल परिवार या हो कमलेश तिवारी... हज़ारों हिंदुओं को सुला दिया गया ,मौत की नींद... !! रातों की नींद हराम हो जाती है....लेकिन सिर्फ कुछ लोगों की,क्यों ?
हिन्दू समाज क्यों सोया रहता है ? कैसे वह जश्न मना लेता है,एक जनवरी का और कैसे वह इस्कान मन्दिर में नाचता है और क्यों ! वह तब तक नाचता है,जब तक उसके अपने घर - परिवार में चोट नहीं हो जाती !कल चंदन गुप्ता के हत्यारों को सज़ा होगी, कुछ को आजीवन और कुछ को दस-आठ और पांच बरस की !! अपील होगी, फिर सबको एक एक करके ज़मानत मिल जाएगी,जैसे कमलेश तिवारी के हत्यारे को मिली ! ज़ख्म रिस्ते रहेंगे....