एक दंगाई मानसिकता या जिहादी मानसिकता तब तक ही सभ्य है जब तक उसे अपनी औकात दिखाने का मौका न मिल पाये।सबको गलतफहमी थी कि बंग्लादेश के लोग सुलझे हुए हैं।गलत अवधारणा थी क्योंकि जब तक इन्हें हसीना सरकार कानून व्यवस्था सही रखती थी ये शांत थे या छुटपुट कर पाते थे।
अब इनका असली नँगा नाच दुनिया देख रही है।ताजा घटनाक्रम में इस्कॉन के संत को इनकी सेना/पुलिस ने कल गिरफ्तार कर लिया।आज जो मुस्लिम वकील उनकी जमानत के लिए कोर्ट में लड़ रहा था, उसे बाहर खींचकर दगाईयों ने लिंच कर दिया।मैसेज ये था कि जो भी हमारे बीच आएगा उसे ऐसे ही मार देंगे।और जो कोई हमारा है वो भी अगर हिन्दू के साथ दिखे वो तो वैसे भी काफिर घोषित हो जाता है।