हिन्दू समाज को समझ लेना चहिये की मुसलमान सच बात कहने पर भी भड़क जाते है जिसे नूपुर शर्मा ने हदीस के आधार पर इतना कहा था की मुहम्मद ने 6 साल की बच्ची से शादी की थी तो इसमें कौन सा अपराध किया जिस से मुहम्मद की तौहीन हो गयी अभी पिछले महीने ही बाबा नन्द किशोर मिश्रा जी ने मेरा यति नरसिंहानंद से परिचय कराया था तब से तीन बार हमारी यति जी से बात हो चुकी है उन्होंने गाजियाबाद आने को कहा उन जैसा निर्भीक और स्पष्टवक्ता मैंने अपनी 76 की आयु में नहीं देखा यति जी ने मुहमद के बारे में जो कहा है उस से और स्पष्ट शब्दों में ईसा मसीह ने बाइबिल यानी इंजील में पहले से बता दिया था याद रखिये मुसलमान इंजील को अल्लाह की किताब और ईसा मसीह को रसूल मान कर उस पर ईमान रखते हैं ईसा मसीह ने मुहम्मद को नरपशु कहा है .ग्रीक भाषा में "थेरी ओन ( θηρίον)है
नोट -यह हमारा 146 वां लेख है जो सन 2010 को तैयार किया था , जो पोस्ट नहीं हो सका था ,
इस लेख से आपको पता चल जायेगा कि मुहम्मद वास्तव में कौन था ?
जब मुहम्मद 40 साल का था ,तो उसने सन 610 में खुद को अल्लाह का रसूल होने का दावा कर दिया था .लेकिन उसके इस दावे पर लोगों को शक बना रहा .उसी समय से मुसलमान इसी जुगाड़ में लगे रहते है कि यहूदी और ईसाई धर्मों के सहारे मुहम्मद को किसी न किसी तरह अल्लाह का रसूल साबित कर दें और ईसाइयों को गुमराह करें कि उनकी बाइबिल में मुहम्मद रसूल के बारे में भविष्यवाणी की गयी है .ताकि ईसाई मुसलमान बन जाएँ .
अक्सर ऎसी जितनी भविष्यवाणियाँ होती हैं ,उनमे किसी व्यक्ति ,घटना या स्थान के बारे में संकेतात्मक भाषा का प्रयोग किया जाता है .और पाहिले कुछ तथ्य दिए जाते हैं ,फिर उस व्यक्ति ,घटना या स्थान के बारे ने एक कोड वर्ड दिया जाता है .जिसके द्वारा उस कोड का सही तात्पर्य समझा जाता है .अर्थात ज्ञात तथ्यों के द्वारा अज्ञात तथ्य को पहिचाना जाता है .जैसे पहेलियों में होता है .
मुहम्मद के बारे में यह ज्ञात है कि वह अरब था ,मक्का में 569 में पैदा हुआ था .और खुद को रसूल कहता था .
बाइबिल में दो भाग है ,पुराना नियम और नया नियम .इसाई दोनों को मानते है .इसी नए नियम की किताबों और आखिरी पुस्तक "प्रकाशित वाक्य "में कुछ भविष्यवाणियाँ दी गयी है .नया नियम लेटिन भाषा में है .जो चर्च की धार्मिक भाषा है लेटिन में सभी नबियों के नाम दूसरी तरह से बोले जाते है .जैसे सुलेमान को Solomon ईसा को Jesus ,हव्वा को Eve आदि इसी तरह रोमन इतिहासकारों ने मुहम्मद को MAOMETIS कहा है .और लेटिन भाषा में भी A से लेकर Z तक हरेक अक्षर के लिए एक अंक माना जाता है .
1 -मुहम्मद के बारे में ईसा की भविष्यवाणी -
ईसा मसीह ने भविष्य में आनेवाले एक व्यक्ति के बारे में यह कहा था .
"यीशु ने कहा ,सावधान रहो ,कोई तुम्हें न भरमाने पाए ,जो तुम से कहेगा कि मैं नबी (रसूल )हूँ .तुम उसकी लड़ाइयों की चर्चा सुनोगे ,वह तुम्हें मारेगा ,पकड़वायेगा ,उसकी बातों में कई लोग ठोकर खायेंगे ,जब वह झूठा नबी खड़ा होगा ,तो तो लोगों को गुमराह करेगा .परन्तु जो लोग धीरज से डटे रहेंगे उनका ही उद्धार होगा
.नया नियम -मत्ती 24 :3 -13
2 -फर्जी रसूल का खुलासा
अब उस फर्जी रसूल का विवरण दिया जा रहा है
"उस नरपशु (Beast )शैतान के हाथों में तलवार होगी ,वह कहेगा किसी मूरत की पूजा मत करो ,जो ऐसा नहीं करेगा वह नरपशु उसे मरवा देगा .वह छोटे बड़े ,धनी निर्धन ,स्वतन्त्र दास सबको अपने हाथों में करेगा .उसके मानने वालों के माथे पर काला निशान होगा .
"जिस में बुद्धि हो वह उस नरपशु के अंक जोड़ ले उसका अंक "666 "है
नया नियम -प्रकाशित वाक्य 13 :11 से 18
इस तरह पूरा सुराग मिल गया .अब हम मुहम्मद के लेटिन नाम "MAOMETIS "के अंक जोड़ते हैं
M =40 +A =1 +O =70 +M =40 +E =5 +T =300 +I =10 +S =200 =666
यानी मुहम्मद वही आदमी है जिसका बाइबिल में विवरण दिया गया है .यह एक फर्जी रसूल है .
3 -अब अरबी गणित के अनुसार देखिये
मुहम्मद को अरबी में رسول العربي بمكه यह कहते हैं .इसका अर्थ है अरब का रसूल मक्का वाला इसमे 13 अक्षर हैं जो इस तरह है .चूंकि अरबी उलटी तरफ से लिखते हैं हम वैसे ही लिख रहे है .(रसूल अल अरबी बि मक्कः )
रे ر सीन س वाव و लाम ل अलिफ़ ا लाम ل एन ع रे رबे بबे ب मीम م काफ ك हे ه .
अब हम इन अक्षरों के अंक जोड़ते है
200 +60 +6 +30 +1 +30 +70 +200 +2 +2 +40 +20 +5 =666
इस प्रकार से दोनों तरह से वही संख्या आती है ,जो बाइबिल में भविष्य में आने वाले फर्जी रसूल के बारे में कही है .यही कारण है की ईसाई कभी मुहम्मद को स्वीकार नहीं करते .उन्हें पता है 666 शैतान का अंक है .और मुहम्मद वही है जिसके बारे में बाइबिल में भविष्यवाणी की है .
जिसे शक हो वह किसी ईसाई से पूछ ले .
इसी भविष्यवाणी में यह भी कहा गया है कि उस पशु के मानने वालों के माथे पर काला निशान होगा .मुसलमान जितने अधिक गुनाह करते हैं .उतना अधिक नमाजें पढ़ते हैं .जिस से बार बार सजदा मरने से उनके माथे पर रगड़ से काला निशान बन जाता है .आप किसी भी इमाम ,मौलवी या मुल्ले के माथे पर यह निशान देख सकते है . बाइबिल के अनुसार यह शैतान के अनुयाइयों की निशानी है .,
इस शोधपूर्ण लेख पर जिन मुस्लिम पाठकों को आपत्ति हो वह समझ लें यह लेख इंजील पर आधारित है ,जिसे मुस्लिम कुरान की तरह अल्लाह की किताब मानते है , हम इसे सच मानते हैं ,
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